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इस तरफ अपनी सास और ननंद के साथ बेटी और बहन जैसा संबंध स्थापित करने में कामयाब बनी मोक्षा के ससुराल का वातावरण विधि की शादी के प्रसंग पर जगमगा उठा। अग्नि की साक्षी में लिए गए सात फेरों के पवित्र बंधन में बँधे विधि और दक्ष के सुखमय जीवन की शुरुआत हुई और उनके सुख में बढ़ोत्तरी तब हुई जब विधि ने गर्भ धारण किया। परंतु उनकी खुशी को शायद किसी की नज़र लग गई। कई प्रकार की गलतफहमियों और गलत धारणाओं से ग्रस्त बने उन दोनों के मन में संघर्ष छिड़ गया है और ऐसी स्थिति में तलाक और गर्भपात का निर्णय कर विधि अपने पियर आ गई है। अब क्या उनके बीच रहे Competition का कोई Solution निकल पाएँगा या फिर कुछ अनहोनी घट जाएंगी। देखते है जैनिज़म के अगले खंड No Competition But Solution में।)
आत्मा को बचाने त्याग और करने के लिए मन तैयार हैं ?
अचानक तबियत बिगड़ती है और व्यक्ति नज़दीकी अस्पताल में पहुँचकर अनजान ऐसे डॉक्टर को अपनी तबियत दिखाकर वह माँगे उतने रुपये दे देता है। अचानक ऑफिस में रेड पड़ती है और व्यक्ति अनजान ऐसे अफसर के हाथ में दो-पाँच लाख रुपये रख देने को तैयार हो जाता है।
प्रश्न मन में यह उठता हैं कि तबियत बचाने के लिए अनजान डाक्टर और पैसे बचाने के लिए अनजान अफसर को दो-पाँच लाख रुपये देने को तैयार हो जानेवाला व्यक्ति अपनी आत्मा को बचाने, अपने हृदय के कोमल भावों को बचाने किसी गरीब आदमी या भिखारी को दो-पाँच रुपये देने को तैयार क्यों नहीं होता? अंतःकरण के पास से इस प्रश्न का उत्तर अवश्य जान लेना।
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