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________________ (विधि की बात सुनकर सब चौंक गए। तब विधि रोने लगी, सब सोच में पड़ गए कि आखिर विधि को हुआ क्या तब) विधि : (रोते हुए) हाँ मम्मीजी ! यह आपका ही घर है। आज से आप और पापाजी इसी घर में रहेंगे। मम्मीजी मेरे बर्ताव के कारण आप लोग घर छोड़ने पर मजबूर हो गये थे। लेकिन आज में अपने उन सब गलत बर्ताव की माफी माँगती हूँ। मम्मीजी ! आज मुझे पता चल गया कि जब बच्चे माँ से अलग होते हैं तब माँ की क्या हालत होती है। कृपा मुझसे 24 घंटे अलग हुई तो मैं जिंदा लाश बन गई। मैंने तो आपको, आपके बेटे से अपने स्वार्थ के लिए इतने दिनों तक दूर करने का पाफ किया है। मैं तो कृपा के साथ सिर्फ चार साल से हूँ, और आज उसके गुम जाने से मेरी ऐसी हालत हो गई है, तो 25-25 साल तक जो दक्ष आपके साथ रहे है उनके दूर हो जाने पर आपकी कैसी हालत हुई होगी? मम्मीजी ! मुझे अपने किए पर पछतावा हो रहा है। अब आप और पापाजी हमारे साथ ही रहेंगे हमेशा-हमेशा के लिए। मम्मी-पापा प्लीज़ मुझे माफ कर दो। (इतना कहकर विधि, शारदा और सुधीर के पैरों में गिरकर रोने लगी। दक्ष ने विधि को उठाया और-) दक्ष : विधि ! तुम्हें पछतावा हुआ यही बड़ी बात है। अब मम्मी-पापा हमें छोड़कर कहीं नहीं जाएँगे। (दक्ष सुधीर की ओर देखते हुए) है ना पापा? (क्या कहते सुधीर और शारदा। आखिर बच्चों के आगे उन्हें झुकना ही पड़ा। उसके बाद विधि के परिवार में, विधि के जीवन में कितनी खुशियाँ आई होगी यह कहने की जरुरत नहीं हैं।) ___इस प्रकार विधि के खुशहाल जीवन को देख मोक्षा तथा उसका परिवार बहुत खुश था। परंतु उनके परिवार की यह खुशी जल्द ही गम और आँखों के आँसूओं में बदल गई। जब मोक्षा के देवर विनय ने अपनी पत्नी के साथ घर से अलग होने का कदम उठा लिया। अब क्या मोक्षा विनय को माता-पिता के प्रति उसके कर्तव्य को समझाकर उसे पुनः घर लाने में कामयाब हो पाती है या फिर प्रशांत और सुशीला का यह संयुक्त कुटुंब टूटकर बिखर जाता है। क्या यह तूफान थम जायेंगा ? या यह तूफान मोक्षा के परिवार की खुशियों को छिन लेगा? आईये देखते है जैनिज़म के अगले खंड “Duties towards Parents" में....
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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