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के लिए हर व्यक्ति के मन में एक मंदिर के साथ एक कब्रिस्तान भी होना चाहिए। जिससे हृदय में रहे मंदिर में वह स्वजनों के गुणों की प्रतिष्ठा कर सके एवं कब्रिस्तान में उनकी भूलों को दफना सके। विधि ! इसी तरह तुम भी अपने मन में एक मंदिर बनाओ जिसमें तुम दक्ष के गुणों, उसके उपकारों की प्रतिष्ठा कर सको और साथ ही एक कब्रिस्तान भी बनाओ, जिसमें तुम दक्ष की भूलों को भी दफना सको ।
विधि : ठीक है भाभी ! आपके कहे अनुसार मैं मन में एक कब्रिस्तान बना लूंगी जिसमें मैं दक्ष की भूलों को दफना सकूँ परंतु मेरा प्रश्न तो वही का वही रह गया। क्या सुधरने के लिए मुझे ही आगे आना होगा, मुझे ही सहन करना पडेगा ?
मोक्षा : अहंकार ने तुम्हारे दिलों दिमाग पर अड्डा जमा लिया है, विधि ! ताली दोनों हाथों से बजती है। अब दायाँ हाथ पहले उठे या बायाँ उससे कोई फर्क नहीं पड़ता । हमें तो खाली ताली बजाने से मतलब है। बस इसी प्रकार तुम्हें तो अपना संसार सुखी बनाने से मतलब है। फिर सहन करने की या प्रेम करने की शुरुआत तुम करो या दक्ष उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम सहनशील बनो और प्रेम दो, इससे सामनेवाला व्यक्ति पिघले ऐसा हो ही नहीं सकता। और विधि ! तुमने यह तो सुना ही होगा कि नारी - सहनशीलता की मूर्ति है, क्या तुमने कभी यह सुना है कि पुरुष सहनशीलता की मूर्ति है। नहीं ना, सृष्टि ने भी जिस गुण से नारी को विभूषित किया है, उस गुण की पुरुष से अपेक्षा रखने में कोई फायदा नहीं है। तुम भी सहनशीलता को अपने जीवन में उतारकर नारी नाम को सार्थक करो। यदि दक्ष की कोई गलती होगी तो मैं उसे जरूर बताऊँगी। वैसे विधि ! जब तुम और दक्ष झगड़ते हो तब कोई तो ऐसी बात होगी या कुछ तो ऐसे शब्द होंगे जिसका उपयोग गुस्से में तुम और दक्ष-बार बार करते होंगे।
विधि : भाभी ! कोई गाली गलोच या अपशब्दों का उपयोग तो हम दोनों के बीच नहीं होता । हाँ लेकिन इतना जरुर कहती हूँ कि ये तो मैं हूँ जो आपको संभाल रही हूँ यदि कोई दूसरी पत्नी मिली होती तो पता चल जाता कि औरत क्या बला होती है। और दक्ष भी कहाँ चुप रहते है मेरी बात सुनकर वे भी कहते है। “हाँ-हाँ सही कहा तुमने, तुमसे अच्छा तो किसी गँवार से शादी कर लेता तो ज्यादा नहीं पर दो वक्त का भोजन तो बराबर बनाकर देती । "
मोक्षा : बस यही तुम्हारी कमज़ोरी है। विधि ! तुम दक्ष के साथ शांति से रहना चाहती हो तो अगली बार जब झगड़ा हो तब तुम मेरी इस सलाह का उपयोग करना । जब भी तुम्हारे बीच झगड़ा हो तब, "यह तो आप हो जो मुझे संभाल रहे हो, कही और गई होती तो कब का धक्का मारकर घर से बाहर निकाल दिया होता।" यह बोलना इससे तुम्हारी आधी समस्याओं का हल हो जायेगा ।
विधि : नहीं भाभी ! ये मुझसे नहीं होगा ।
मोक्षा : विधि ! ये तुम्हें करना ही होगा। मैंने तुम्हें पहले ही कहा है कि तुम सामनेवाले व्यक्ति को प्रेम