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________________ विधि : परतुं सुज़ी एक तकलीफ है। हमें आज की पार्टी केन्सल करनी पड़ेगी। सुज़ी: क्या? पार्टी केन्सल करनी पड़ेगी? क्यों क्या हुआ ? तुम्हारे सास-ससुर की तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई है क्या ? विधि : अरे यार ! उनकी तबियत खराब होती तो मैं कैसे भी करके आ जाती, परंतु आज तकलीफ मेरे पति की है। सुजी : क्यों ? क्या हुआ तुम्हारे पति को ? विधि : हुआ कुछ नहीं। वो क्या है ना कि उन्होंने भी आज ही फिल्म के टिकट लाए है और होटल में डिनर लेने का प्लान बनाया है। तुम्हें तो पता ही है कि ज्यादातर मिटिंग में व्यस्त होने के कारण मेरे पति कितने कम बाहर घूमने आते हैं। इसलिए मैं उन्हें मना नहीं कर सकती। सॉरी मैं नहीं आ पाऊँगी। सुज़ी : मैं समझ सकती हूँ तुम्हारी तकलीफ विधि । पर तुम्हारे बिना पार्टी में मज़ा नहीं आयेगा और वैसे भी आज पार्टी में जितने प्रोग्राम होने वाले थे उन सबको तुम ही संभालने वाली थी। तुम ही नहीं आओगी तो कौन संभालेगा ? चलो कोई बात नहीं। मैं सबको फोन करके बता देती हूँ कि आज की पार्टी केन्सल करके कल रखी है। विधि : थैंक्स सुज़ी। (दक्ष ऑफिस चला गया और विधि तैयार होकर शाम को ठीक साढ़े पाँच बजे केन्टीन पहुँच गई।) विधि : क्या बात है दक्ष अभी तक क्यों नहीं आए ? कहीं भूल तो नहीं गए। आते ही होंगे मैं ही थोड़ी जल्दी आ गई हूँ। (इधर ऑफिस का काम ज्यादा होने के कारण दक्ष को ऑफिस में ही 6 बज गये। और जैसे ही वह निकलने की तैयारी में था उतने में.... ) मैनेजर: अरे सर ! आप कहीं जा रहे हों ? दक्ष : हाँ ! आज मेरी पत्नी के साथ बाहर जाने का प्लान है। वह मेरा इंतजार कर रही होगी । मेनेजर : सर ! आप शायद भूल रहे है कि आज आपकी फॉरन क्लाईन्ट्स के साथ इम्पोर्टेन्ट मिटिंग है, सारे लोग मिटिंग हॉल में आ गये हैं। सिर्फ आप का इंतजार हो रहा है । दक्ष : अरे मैं तो भूल ही गया था। अब विधि को मेसेज कौन देगा ? तुम एक काम करो मेरे मोबाईल से मेरी पत्नी को मेसेज कर देना कि बहुत जरुरी मिटिंग होने के कारण मैं नहीं आ पाऊँगा और फोन यही केबीन में रखकर तुम भी सारी फाईल लेकर हॉल में आ जाना। 162
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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