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डॉली : ओह सॉरी सर ! एक्चुली आज मेरा ध्यान कहीं ओर था।
(मि. जॉन अपनी कुर्सी से उठकर डॉली के पास वाली कुर्सी पर आकर बैठ गए ।)
मि. जॉन : डॉली ! मुझे गलत मत समझना, पर अब मैं एक बॉस (सर) नहीं पर एक दोस्त बनकर तुमसे पूछता हूँ कि क्या तुम अपनी फिलिंग्स मुझे कहोगी ? मैं तुम्हें हमेशा उदास देखता हूँ । यदि तुम चाहो तो मुझे बताकर अपना दिल हल्का कर सकती हो।
(जॉन के हमदर्दी भरे शब्द सुनकर डॉली की आँखों में पानी आ गया और उसने शुरुआत से लेकर अंत तक सारी कहानी मि. जॉन को बता दी । )
डॉली : तुम्हारा रोना सही है डॉली ! समीर को ऐसा नहीं करना चाहिए था। उसने तुम्हें धोखा दिया है। तुम्हारे साथ बहुत बुरा हुआ ।
डॉली : छोडो ना सर ! इन बातों को। वो आप मि. शर्मा के बारे में क्या बता रहे थे ? एक बार फिर से समझा दीजिए। ( और दोनों काम में लग गए । )
(दो दिन बाद डॉली आठ बजे ऑफिस का काम निपटाकर ऑफिस से निकल गई। पर बस के इन्तजार में वह नौ बजे तक बस स्टॉप पर ही खड़ी थी। उसी समय मि. जॉन भी ऑफिस का काम निपटाकर उसी रास्ते से अपनी कार से जा रहे थे। उन्होंने डॉली को बस के लिए इंतजार करते देखा। दूसरे दिन - )
मि. जॉन : डॉली ! कल तुम घर कितने बजे पहुँची। कल नौ बजे तक तो मैंने तुम्हें बस स्टॉप पर देखा था।
डॉली : सर ! अब आपसे क्या छिपाना । मेरी पूरी सेलेरी समीर ले लेता है। रोज बस में आने-जाने का किराया मुझे दे देता है। अब 7 रु. में मैं टेक्सी का किराया कहाँ से लाऊँ ?
मि. जॉन : ओह शीट डॉली ! तुम्हें एक बार तो मुझसे कहना चाहिए था । मैं तुम्हारी कुछ मदद करता। यह लो 1000 रु. इसे तुम अपने केबिन के लॉकअप में ही रखना और जब मन चाहे खर्च कर लेना। और हाँ, आज से तुम्हें बस स्टॉप पर बस के लिए वेट करने की कोई जरुरत नहीं है। मैं तुम्हें अपनी कार से छोड़ दूँगा। वैसे भी तुम्हारा घर मेरे रास्ते में ही आता है।
डॉली : ओह ! थैंक्स अ लोट सर ।
मि. जॉन : डॉली प्लीज़ तुम मुझे सर मत कहो । अब हम दोस्त है। तुम मुझे जॉन बुलाओगी तो मुझे ज्यादा अच्छा लगेगा।
डॉली ओ. के. जॉन ।
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(इस प्रकार जॉन थोड़े रुपये देकर, दो-चार मीठी बातें बोलकर, हमदर्दी जताकर भोली-भाली डॉली को अपने जाल में फंसाने लगा। पर एक बार ठोकर खाने के बाद भी डॉली फिर वही
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