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________________ आदित्य : खबरदार सुषमा ! जिस डॉली के लिए हमने अपनी सारी खुशियों को छोड़ दिया था, वही डॉली मुझे मौत के मुँह में छोड़कर चली गयी थी। एक मुसलमान लड़के के साथ भागकर जाते समय उसे इतना भी ख्याल नहीं आया कि उसके माँ-बाप की समाज में इतनी इज्जत है। वे मेरे जाने के बाद लोगों को अपना मुँह कैसे दिखाएँगे ? सुषमा आगे से यदि तुमने डॉली को इस घर में लाने की बात की या उससे फोन पर बात करने की या मिलने की कोशिश भी की तो मेरा मरा मुँह देखोगी । ( इतना कहते ही आदित्य की छाती में जोर से झटका लगा और उसकी छाती में दर्द होने लगा। आदित्य की ऐसी हालत देखकर सुषमा ने सोचा कि डॉली का नाम लेने से इनकी यह हालत हुई है तो डॉली घर आएगी तो इनका क्या होगा ? यह सोचकर ही सुषमाने डॉली को घर लाने का विचार छोड़ दिया। लेकिन आखिर माँ का दिल था इसलिए वह आदित्य को बताए ए. बिना ही डॉली से मिलने हॉस्पिटल चली गई। उस समय डॉली सोई हुई थी। सुषमा उसके पास गई। डॉली की ऐसी हालत देखकर सुषमा की आँखों में आँसू आ गये। जैसे ही सुषमा ने अपना वात्सल्य भरा हाथ डॉली के सिर पर फेरा वैसे ही डॉली जाग गई। अपनी मॉम को अपने पास देखकर डॉली के आँखों में भी आँसू आ गये। उसने अपनी मॉम का हाथ पकड़ लिया। और रोते-रोते ....) मुझे पता ही था मॉम कि आप मुझे लेने जरुर आओंगे। ( बेचारी सुषमा | अपनी बेटी के इस प्रश्न का जवाब व आदित्य का फैसला कैसे सुनाती ? ) डॉली : मॉम कुछ बोलो ना आप ऐसे चुप क्यों खड़ी हो ? सुषमा : मुझे माफ कर दो बेटा । तुम्हारे पापा ने तुम्हें स्वीकारने से मना कर दिया है। ( और ऐसा कहकर आदित्य से हुई सारी बात सुषमा ने डॉली को बता दी। यह सुनते ही डॉली के अरमान टूटकर चकनाचूर हो गए। उसने सोचा था कि अब उसे वापिस उस नरक में नहीं जाना पड़ेगा। आराम से अपने घर पर जाऊँगी और फिर से नई जिंदगी शुरु करुँगी । अपना नया कॅरियर बनाऊँगी। लेकिन डॉली के भाग्य में तो कुछ और ही लिखा था। डॉली ने अपनी माँ से बहुत Request की लेकिन आखिर सुषमा भी क्या करती ? ) सुषमा : डॉली तुम्हारे जाने के बाद हमारा घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया और उस पर जब से तुम्हारी बात तुम्हारे पापा को बताई है तब से उनका B. P. नार्मल ही नहीं हो रहा हैं, आखिर वह भी तो एक बाप है। तुम उनकी हालत देखोगी तो अपने आपको धिक्कारोगी । शायद तुम्हें घर वापस लाने के बाद समाज में होनेवाली बदनामी से तो वह जीं भी न पाए। बताओ डॉली तुम मेरी जगह होती तो क्या करती ? डॉली : 146
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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