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________________ सुषमा - हेलो ! कौन बोल रहा है? डॉली - (रोते हुए ) मॉम ! मैं डॉली। सुषमा - डॉली तुम, आज यहाँ फोन कैसे किया? डॉली - मॉम ! प्लीज़ मुझे यहाँ से ले चलो। मैं इस नरक में अब और नहीं रह सकती। मम्मी आप जैसा कहोगे मैं वैसा करूँगी। यदि इस नरक से मैं नहीं निकली तो मैं घुट-घुट कर मर जाऊँगी। यहाँ पर मेरा कोई नहीं है। समीर और उसकी माँ को मुझसे नहीं मेरे पैसों से प्यार था और जब मेरे लाए हुए सारे पैसे खत्म हो गए तो उन्होंने मुझे दर-दर भटकने के लिए मजबूर कर दिया। (डॉली ने रोते हुए खुद पर घटी सारी घटना अपनी मॉम को सुना दी। और अंत में-) डॉली : मॉम ! प्लीज़ एक बार मुझे माफ कर दो। मुझे यहाँ से ले चलो मॉम। (कैसी स्थिति हो गई है डॉली की। एक वक्त ऐसा था जब डॉली ने अपने घर को नरक कहकर समीर को वहाँ से भगा ले जाने के लिए कहा था और आज वही डॉली समीर के घर को नरक कह कर अपनी मम्मी को यहाँ से ले जाने के लिए विनंती कर रही है। डॉली की सारी बातें सुनते ही सुषमा की आँखों से आँसू की धारा बहने लगी। उसने रोते-रोते कहा-) सुषमा : डॉली ! ऐसा कदम उठाने से पहले मैंने तुम्हें लाख बार मना किया था। लेकिन तुमने हमारी बात नहीं सुनी। डॉली, जिस दिन तुम इस घर से भाग कर गई थी। उसी दिन से तुम हमारे लिए मर गई थी। यह तो अच्छा हुआ कि तुमने मुझे ही फोन लगाया यदि तुम्हारे पापा को लगाया होता तो उन्हें दोबारा हार्ट अटेक आ जाता। तुम्हारे लिए इस घर के दरवाज़े हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। सॉरी मैं तुम्हारी किसी भी प्रकार की मदद नहीं कर सकती। डॉली : प्लीज़ मॉम। फोन मत रखना। सॉरी मॉम। मुझसे गलती हो गई। मुझे माफ कर दो मॉम! प्लीज़ मॉम मुझे यहाँ से ले चलो। (डॉली रोने लगी और रोते-रोते) प्लीज़ मॉम ! आखिर आप भी एक माँ हो। आप इतनी कठोर दिल नहीं बन सकती। (डॉली को रोते देख सुषमा का दिल पिघल गया।) सुषमा : डॉली ! तुम. रोओ मत, मैं तुम्हारे पापा से बात करूंगी। (सुषमा से बात करने के बाद डॉली का दिल थोड़ा हल्का हो गया और वह अपनी मॉम के आने का इंतजार करने लगी कि कब मॉम मुझे लेने आए और कब मैं अपने घर जाऊँ। इधर दोपहर खाने के समय में आदित्य घर आया। सुषमा ने डॉली की सारी परिस्थिति आदित्य को बताई और साथ ही डॉली को घर पर ले आने की अपनी इच्छा भी बताई। सुषमा की बात सुनकर एक बार तो आदित्य की आँखों में भी आँसू आ गये। लेकिन जब सुषमा ने उसे घर लाने की बात कही तब आदित्य गुस्से में आ गया और जोर से...)
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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