________________
* कोई भी बड़े या छोटे बर्तन में पानी, खाद्य पदार्थ आदि लेने से पहले देख ले कि बर्तन के किसी
भी कोने में कोई सूक्ष्म जंतु तो नहीं है न? * दरवाज़े-खिड़की को खोलने, बंद करने से पहले खटखटाये। जिससे यदि छिपकली आदि बैठी हो तो
आवाज़ सुनते ही हट जायेगी। खिड़की आदि खोलने, बंद करने से पहले बराबर देख लीजिए कि वहाँ
कोई जंतु तो नहीं है। * चाय की पत्ती को छालनी से छानकर उपयोग करें। चातुर्मास व भीगे वातावरण में छोटे जीवों के होने
की संभावना रहती है। * वर्षाऋतु में ट्युबलाईट पर छोटे तितली जैसे पुष्कल जीव बड़े प्रमाण में उत्पन्न होते हैं। सुबह कचरे
में इन सब जीवों के कलेवर इकट्ठे हो जाते हैं। इसे रोकने हेतु ट्यूबलाईट के साथ नीम के पेड़ की
छोटी डाली बांध दीजिए। * शहरों में घर पर आम का रस निकालने की प्रथा घटती जा रही है। कारण यह कि वह बाज़ार में तैयार
मिलता है। पर उसका उपयोग करना अनुचित है क्योंकि वह रात्रि में भी निकाला हुआ हो सकता है। तथा उसमें कच्चा दूध भी मिलाया जाता है। जिसे दाल आदि कठोल के साथ खाने से द्विदल होने की संभावना रहती है। आम रस में कच्चा दूध मिलाना नहीं चाहिए। एवं बाज़ार का आम रस भी उपयोग में नहीं लेना चाहिए। शाम की रसोई होने के बाद, बर्नर पर कपड़ा बांधकर उसे ढंक दीजिए। जिससे बर्नर के छिद्रों में जीव न चले जाए। सुबह पूंजणी से पूंजने से जो जीव मात्र बाहर चलते-फिरते हैं, उनकी जयणा की जा सकती है। लेकिन उन जीवों का क्या जो बर्नर के छिद्र में छुपे हैं ? इसलिए बर्नर पर कपड़ा ढंक देना
यह एक उत्तम प्रक्रिया है। * बिसलरी आदि मिनरल वॉटर अणगल पानी होने से न पीये न पिलाये। उसमें पानी के जीवों की विराधना
है। पहले दिन का छाना हुआ पानी यदि दूसरे दिन उपयोग करे तो छानकर ही उपयोग में लें। * पौओ में पुष्कल जीवात् होने से उसका उपयोग करने से पहले छलनी से निरीक्षण कर लीजिए। * नींबू के फूल (नींबू का सत्त) महाहिंसक होने से उसका उपयोग न करें। * मिठाई के ऊपर यदि केसर का पानी छांटा हुआ हो तो वह मिठाई दूसरे दिन बासी अभक्ष्य होती है। * मेथी आदि भाजी में नीचे के 2-3 पत्ते अनंतकाय गिने जाते हैं। इसलिये सुधारते समय उन पत्तों को
छोड़ दीजिए।