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13. जब भी घर से गाड़ी लेकर कहीं बाहर गाँव या तीर्थ यात्रा पर जाने के लिए निकल रहे हो तब म.सा. को रास्ते में देखने पर अवश्य गाड़ी को रोककर उन्हें गोचरी, दवा आदि काम-काज के लिए पूछे। रास्ते में कोई तकलीफ आदि में भी आप सहायक बन सकते है। जरुरत पड़ने पर अपना काम गौण करके भी म.सा. का कोई काम हो तो वह करने से खूब लाभ मिलता है। 14. बच्चों को बचपन से ही म.सा. को गोचरी के लिए बुलाने भेजना चाहिए। इससे बचपन से ही उनमें ऐसे संस्कार पड़ जाते हैं। राजकोट में एक 6 साल का लड़का म.सा. को गोचरी के लिए बुलाने
आया। म.सा. ने मना किया। इससे वह खूब आग्रह करने लगा। म.सा. के पात्रे पकड़ लिए। म.सा. ने कहा तू इतना आग्रह क्यों कर रहा है? उसने कहा- म.सा. यदि मैं आपको गोचरी बुलाने के लिए
आता हूँ तो मेरी मम्मी मुझे 3 रुपये देती है। और यदि मैं आपको साथ ले जाता हूँ तो मेरी मम्मी मुझे 6 रुपये देती है। दृष्टांत : एक बार माँ ने लड़के को म.सा. को गोचरी के लिए बुलाने भेजा। लड़का उपाश्रय में आया
और म.सा. को गोचरी के लिए पधारने की विनंती की। म.सा. ने कहा कि “गोचरी वाले म.सा. तो निकल चुके है।" तब लड़के ने कहा 'तो फिर आपके साथ जो साधर्मिक है उन्हें भोजन के लिए भेज दीजिए।' म.सा.ने कहा 'वे भी चले गये है।' फिर लड़के ने म.सा. से कहा 'तो फिर डोली उठाने वाले आदि आपके साथ जो भी आदमी या औरत है उनको भेज दीजिए।' म.सा. ने कहा 'वे भी चले गए।' यह सुन लड़का उदास हो गया। उतने में उसने वहाँ एक कुत्ते को देखा और खुश होते हुए पूछा 'म.सा. यह कुत्ता आपका है?' म.सा.ने कहा 'हमारे साथ विहार में चलता है।' तो उसने कहा 'इस कुत्ते को ही भेज दीजिए।' म.सा. ने कहा 'ले जाओ।' वह कुत्ते के पास जाकर उसे चलने के लिए कहने लगा। लेकिन कुत्ता नहीं गया, तब म.सा. ने कहा 'भाई यह कहने पर चलने वाला नहीं है। इसके लिए तो खाना यहाँ लाना होगा।' तुरंत वह लड़का हसता हुआ चल दिया और थोड़ी देर में 10-12 पेंडे ले आया और बड़े प्रेम से वह कुत्ते को खिलाने लगा। म.सा. तो देखते ही रह गए। म.सा. ने कहा 'यह तो कुत्ता है इसके लिए रोटी लाई होती तो भी चलती।' तब लड़के ने कहा मेरी मम्मी ने कहा है ‘म.सा. के साथ चलने वाले कुत्ते का भी लाभ अपने भाग्य में कहाँ से? इसलिए उसे भी बड़े आदर से पेट भरकर मिठाई खिलानी चाहिए।' अतः हमें भी उपरोक्त नियमों को ध्यान में रखकर उल्लासपूर्वक सुपात्र-दान का लाभ लेना चाहिए।