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________________ 6. जब भी महात्मा गृहांगन में पधारें उस समय अति आनंदित होकर उन्हें पधारने का आमंत्रण देना चाहिए। घर के सारे सदस्यों को खड़े होकर उनका विनय करना चाहिए। लेकिन छोटे या बड़े गुरु भगवंत की उपेक्षा करके टी.वी. देखना, समाचार पढ़ना, बातें करना आदि में व्यस्त रहे तो आशातना का दोष लगता है। वहोराने का लाभ सभी को लेना चाहिए। गुरु भगवंत को वहोराने के संस्कार बच्चों को भी देने चाहिए। 7. बहुत बार अज्ञानी लोग पास में म.सा. की आवाज़ सुनकर अपने घर में साधु के निमित्त आरंभ करके खिचिया, पापड़ सेकते हैं। वह उचित नहीं हैं। बहुत लोग अपने लिए बन रही रसोई, दूध आदि को म.सा. का उद्देश्य बनाकर दोषित कर देते हैं। कुशल श्रावक-श्राविकाओं को नियम (1) के अनुसार उपयोग रखना चाहिए। 8. गाँव में आयम्बिल खाता न हो एवं म.सा. को आयम्बिल हो तो म.सा. के लिये खाना अलग बनाने की जरुरत नहीं होती। आपके घर जो भी बन रहा हो उसमें से ही उपयोग पूर्वक लूखा निकाल लेना चाहिए। अथवा म.सा. को वहोराने के पहले वघारना नहीं चाहिए, सभी अथवा कुछ रोटियाँ लूखी ही रखनी चाहिए एवं उस दिन घर में सभी को अथवा कुछ सदस्यों को लूखी रोटी खाकर साधु भगवंतों को निर्दोष गोचरी वहोराने का लाभ लेना चाहिए। 9. वहोराते समय सर्वप्रथम उत्तम द्रव्यों को बताना चाहिए। फिर सामान्य द्रव्य बताने का विधान है। अन्यथा पहले सामान्य द्रव्य ले लें तो विशेष लाभ से वंचित रह जाते हैं। 10. कभी म.सा. पधारें हो और आपके घर पर रसोई नहीं बनी हो, तो दरवाज़े से म.सा. को रसोई नहीं बनी है इस प्रकार कहकर लौटाना नहीं चाहिए। अपितु उन्हें बहुमान पूर्वक आमंत्रण देकर घी, गुड़, दूध, शक्कर, खाखरा, झूठ, पीपरामूल, मिठाई आदि जो भी वस्तु घर में हो उसका लाभ देने की विनंती करनी चाहिए। . 11. जब भी म.सा. पधारते हैं तब उनका भक्ति पूर्वक स्वागत करना चाहिए एवं वहोराने के बाद समयानुसार पुनः लौटाने जाना चाहिए। कम से कम अपने घर के बाहर तक तो पहुँचाने जाना ही चाहिए। म.सा. गाँव में अनजान हो तो उन्हें आसपास के सभी घर दिखाने चाहिए। 12. म.सा. को वहोराने का आग्रह रखना उचित है, लेकिन इतना आग्रह भी नहीं करना चाहिए कि उनको तकलीफ उठानी पड़े। अतः विवेक रखे।
SR No.002439
Book TitleJainism Course Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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