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मेरा क्या दोष? क्या आपकी पतंग मेरे जीवन की पतंग काटेगी ? क्या आपका मांजा मेरे मृत्यु की चित्कार से रंगेगा ? क्या आपकी मज़ा हमारे लिए मौत की सजा बनेगी ? ओ भाई ? शौक के लिए क्रूरता? कभी भी नहीं...?
निर्दोष! अबोल ! असहाय ! पशु-पक्षियों ने आपका क्या बिगाड़ा है....? ओ युवानों ! जरा इतना तो सोचो.
फीरकी और पतंग लेकर टेरेस पर जाते हुए जरा इतना तो सोचो कि कही मैं शिकारी तो नहीं हूँ? जैसे शिकारी तीरकमान लेकर जंगल में शिकार करने निकलता है, वैसे ही मैं फीरकी और पतंग लेकर टेरेस पर जा रहा हूँ | पतंग उड़ाते हुए मेरे मांजे से किसी पक्षी की गर्दन तो नहीं कट जाएँगी न ? जो ऐसा हो तो समझना कि मैं भी एक अच्छे कुल का शिकारी हूँ | फरक बस इतना है कि जंगल का शिकारी अपने पेट के लिए जंगल में जाकर शिकार करता है और मैं तो मात्र मेरे शौक के लिए टेरेस पर जाकर शिकार कर रहा हूँ। ___ हे मानव ! तू केवल इतना तो सोच कि कही उस पक्षी के अंडे या बच्चे परवरीश के लिए माता की राह देखते तो नहीं बैठे, या उस पक्षी ने कही गर्भ धारण तो नहीं किया होगा न ?
आइए हम पतंग नहीं उडाकर अबोल पक्षियों की कब्र खोदने के महापाप से बचें...