________________
डॉली : मैंने पहले ही कहा था कि मुझे कॉकरोच और अंधेरे से बहुत डर लगता है। समीर : अब सो जाओ चुपचाप। मेरी भी नींद खराब कर दी। (डॉली नींद लेने की कोशिश करने लगी और देखते-देखते 5 बज गये।) शबाना : डॉली, जरा बाल्टी तो देना। (फूलों की शय्या पर सोने वाली, 8 बजे उठने वाली, उठते ही बेड-टी पीने वाली बेचारी डॉली के पास आज ना तो बेड था और ना ही टी थी , पर क्या करे ? अपने हाथों से गले में घंटी बाँधी थी तो अब वह बजेगी ही। अभी तक डॉली ने सिक्के के एक पहलु यानि कि सुखी जीवन को ही देखा था पर अब उसके जीवन रूपी सिक्के ने मोड़ लेना शुरु कर दिया था।
कुछ दिनों बाद समीर के एक दोस्त ने होटल में पार्टी रखी। डॉली और समीर उस पार्टी में गये। होटल नॉनवेज थी। लेकिन डॉली को इस बात का पता नहीं था। सब खाना खाने बैठे। प्लेटों में नॉनवेज आईटम को देखकर डॉली चकरा गई। फिर भी चुपचाप वही बैठी रही। समीर के दोस्तों ने समीर का मज़ाक उड़ाने के लिए डॉली की प्लेट में भी नॉनवेज डाल दिया। अपने दोस्तों के साथ समीर भी नॉनवेज खाने लगा। तब डॉली ने एकदम धीमे से समीर से कहा...) डॉली : समीर ये क्या? तुम नॉनवेज खा रहे हो । तुमने तो मुझसे वादा किया था कि तुम कभी नॉनवेज नहीं खाओगे.... समीर : चुप बैठो डॉली। सब लोग हमें ही देख रहे है। परिस्थिति के अनुसार रहना सीखो। दोस्त : अरे! दोनों मियाँ-बीबी में क्या खुसर-पुसर चल रही है, जरा हमें भी बताओ और ये क्या समीर, तुमने अभी तक भाभीजान को नॉनवेज खाना नहीं सिखाया? । समीर : सिखाया नहीं तो क्या हुआ। आज सीख लेगी। डॉली, खा लो। दोस्त: अरे समीर! भाभीजान पहली बार नॉनवेज खा रही है, तुम अपने हाथों से खिलाओ।
(समीर जैसे ही कबाब का एक टुकड़ा चम्मच से डॉली के मुँह के पास ले गया, वैसे ही डॉली को ज़ोर से उपका आया और वह समीर का हाथ झटककर वहाँ से उठकर चली गई। सारे दोस्त समीर का मज़ाक उड़ाने लगे। इस पर समीर को डॉली पर बहुत गुस्सा आया और वह भी पार्टी को अधूरी छोड़कर घर चला आया। घर पर आते ही सीधे डॉली को पकड़कर एक चाँटा मारा।) समीर : बद्तमीज़ तेरी माँ ने तुझे इतना भी नहीं सिखाया कि दोस्तों के बीच कैसे रहा जाता है ? नॉनवेज खाना नहीं था तो कम-से-कम वहाँ चुपचाप बैठी तो रह सकती थी। इस प्रकार बेइज्जत करके आने की