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________________ क्या जरुरत थी। पता है मेरे सब दोस्त किस प्रकार से मुझ पर हँस रहे थे और नॉनवेज खा लेती तो कहीं मर नहीं जाती। उठाया डॉली : तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मारने की। मेरे मम्मी-पापा ने भी आज तक मुझ पर कभी हाथ नहीं तो तुम कौन होते हो मुझे मारने वाले ? कश्मीर में जब मैंने तुम्हें नॉनवेज होटल में खाने के लिए कहा था तब कितनी बड़ी-बड़ी बातें की थी तुमने। उन सबका क्या हुआ ? कॉलेज में तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम कभी नॉनवेज नहीं खाओगे। क्या हुआ तुम्हारे उस वादे का ? समीर : भाड़ में गया तुम्हारा वादा । तंग आ गया हूँ तुमसे और तुम्हारे वादों से। (बेचारी डॉली आज तक जिसने कभी अपने माता-पिता की भी थप्पड़ नहीं खायी थी। माता- -पिता जिसे लाड-प्यार से बड़ा किया था, उसी डॉली के सच्चे प्यार ने ही उसे थप्पड़ खाने के लिए मजबूर कर दिया। उस रात डॉली बहुत रोई लेकिन समीर ने उसकी ओर देखा तक नहीं। डॉली ने सोचा कि शादी के पहले मेरी आँख से एक आँसू आने पर जिस समीर के दिल के टुकड़ेटुकड़े हो जाते थे, आज वही समीर खुद मेरी आँखों में आँसू लाने के लिए तुला हुआ है। दोस्तों के सामने अपनी बेइज्ज़ती हो जाने के कारण समीर ने डॉली से बात नहीं की और तीन दिन ऐसे ही गुज़र गये। तीन दिन बाद रातको) समीर : डॉली ! अम्मी की तबियत ठीक नहीं है, इसलिए कल 4 बजे उठकर पानी भर लेना। डॉली : समीर! डॉ. ने मुझे वजन उठाने का मना किया है। समीर : (गुस्से में) डॉली ! मैं तुम्हें मेरे घर में आराम करने के लिए नहीं लाया हूँ। 2 साल हो गये ससुराल आये पर तुमने अभी तक घर का कोई काम नहीं किया है। वो तो मेरी अम्मी का दिल बहुत बड़ा है इसलिए तुम्हें कुछ नहीं कहती। अब ये सब नाटक नहीं चलेंगे। डॉ. तो कल जाकर तुम्हें बेडरेस्ट का भी कह देगा और तुम बेड-रेस्ट कर लोगी तो तुम्हारी सेवा कौन करेगा ? अब घर का सारा काम तुम्हें ही संभालना है। अम्मी कब तक करेगी? (उसी वक्त समीर की अम्मी भी वहाँ आई ।) शबाना : एकदम सही कहा तुमने बेटा। महारानी को तो खाली तीन काम ही अच्छे लगते है। खाना, घूमना और सोना। बाकी काम तो महारानी से होते नहीं है। कोई काम करने को कह दे तो डॉ. और अपने बच्चे का बहाना बना लेती है और बैठी रहती है। वो तो इस घर में आयी है इसलिए अब तक सम्भाल लिया। कहीं और होती तो मार-मार कर घर से बाहर निकाल देते। 075
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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