SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बस अब यही मेरी जिंदगी है, पर वह यह नहीं समझती कि जिंदगी मात्र दो-चार बातों या गिफ्टस् से नहीं चलती, पर बेचारी डॉली को उस वक्त क्या पता था कि भविष्य में समीर इन तोहफों से भी बड़ा तोहफा उसे देगा जो उसकी जिंदगी को तहस-नहस कर देगा और तब शायद उसे अपनी बिगड़ी जिंदगी को सुधारने का मौका भी न मिले। डाँली समीर की चालाकी न समझ पाई और उसके जाल में फँस गई। उसे तो यह भी पता नहीं चला कि इतने दिनों तक उसने जिन पैसों के बल पर मौज-मजे किए थे, जिन पैसों के बल पर समीर उसे इतनी खुशी दे रहा था, वह समीर के नहीं उसके अपने ही थे, पर कहते है ना - 'विनाश काले विपरीत बुद्धि' बस डॉली के लिए भी यह बात बिल्कुल ठीक लागु होती थी। भले आज तक उसे जयणा और मोक्षा की बातें लेक्चर लगती थी। उसमें उसे टाईम-वेस्ट नज़र आ रहा था, पर भविष्य किसने देखा था? हो सकता है कि भविष्य में मोक्षा के एक-एक शब्द पर उसके पास आँसू बहाने के अलावा और कोई चारा न हो, और शायद अब वह दुःखद भविष्य आ गया था।) .) (एक दिन शाम को डॉली डॉ. के पास चेकअप के लिए जाती है तब घर पर समीर : अम्मी मुझे नहीं लगता कि डॉली अपने पियर जायेगी। सारा प्लॉन चौपट हो गया। शबाना : बेटा ! चिन्ता मत कर। जब घी सीधी ऊँगली से न निकले तब ऊँगली को टेढ़ी करके निकालना पड़ता है। अब तक तो हम इसके साथ प्यार का बर्ताव करते रहे जिससे इसे पियर की याद ही नहीं आयी, पर अब हम इसके साथ ऐसा सलूक करेंगे कि इसे पैसे लेने के लिए मजबूरन पियर जाना ही पड़ेगा। समीर : पर अम्मी कैसे ? शबाना : तु चिन्ता मत कर। बस मैं जैसा कहूँ वैसा तू करते जाना। (उस रात समीर डॉली को फ्लेट में नहीं ले गया और डॉली को किचन में सोने के लिए कहा।) डॉली: समीर! हमें यहाँ पर सोना पड़ेगा । कितना अँधेरा है यहाँ तो। मुझे अँधेरे से और कॉकरोच से बहुत डर लगता है। समीर : डॉली ! यह तुम्हारा पियर नहीं है। जहाँ हो उस माहौल में सेट होना सीखो। और हाँ, यहाँ पर सुबह 5 बजे पानी आता है। इसलिए जब अम्मी दरवाज़ा खटखटाएगी तब बाथरुम से बाल्टी दे देना । अम्मी पानी भर देगी। (समीर की बात सुनकर डॉली आगे कुछ नहीं बोल पाई और चुपचाप अपने आँसुओं के साथ सोने की कोशिश करने लगी। करीब रात के 2 बजे... .) डॉली : समीर! समीर! ..... मेरे ऊपर कुछ चल रहा है। समीर उठो । (समीर ने उठकर लाईट चालु की।) समीर : (गुस्से में) क्या डॉली ! बच्चों की तरह एक कॉकरोच से डर गई। 073
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy