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समीर : डॉली! परिस्थिति को समझने की कोशिश करो। (समीर ने डॉली को बहुत समझाया है, पर वह एबोर्शन करवाने के लिए तैयार नहीं हुई। इससे समीर गुस्सा होकर चला गया। इस तरफ घूमने-फिरने और घर के खर्चे में डॉली के द्वारा लाये हुए सारे पैसे खत्म हो गये। तब शबाना ने सोचा कि किसी तरह डॉली को अपने मायके भेज दिया जाये, ताकि वह थोड़े और पैसे ला सके। इससे उसके गर्भ पालन में, डॉ.के खर्च में, बच्चे को पालने-पोसने में और घर के खर्चे में सुविधा रहेगी, इसलिए एक दिन बातों ही बातों में शबाना ने डॉली से पूछा...) शबाना : बेटा, तुम्हें कभी अपनी मम्मी की याद नहीं आती? डॉली : आप जैसी अम्मी मिल जाने पर किसे अपने घर की याद आयेगी ? आप मेरा कितना ख्याल रखती है। शादी करके इतने दिन हो गये लेकिन आप ने तो अब तक मुझे घर का झाडू तक निकालने नहीं दिया। अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार आपने मुझे दिया है। भगवान करे मुझे हर जनम में आप जैसी सासुमाँ मिलें। शबाना : अरे बेटा, तुम ने तो मेरे घर को जन्नत बना दिया है जन्नत, पर बेटा, कभी-कभी तो अपने मम्मी के यहाँ भी जाया करो। भले तुम्हें उनकी याद नहीं आती, पर उन्हें तो तुम्हारी याद आती ही होगी। डॉली : नहीं अम्मी! अब उस घर के लोग मेरे कुछ नहीं लगते और मैंने भी उस घर से हमेशा-हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ दिया है। (बेचारी शबाना... उसके तो सारे अरमानों पर पानी फिर गया। उसने तुरंत समीर को सारी बात बतायी।) शबाना : बेटा, ये तू कैसा खोटा सिक्का उठा लाया है ? ये तो अपने घर जाने का नाम ही नहीं लेती तो पैसे कहाँ से लायेगी? समीर : अम्मी, चिंता मत करो । धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। (कुछ दिन बाद ......) डॉली : समीर, पिछले दो महिनों से मैं ब्यूटी पार्लर ही नहीं गई। देखो ना मेरा चेहरा कितना खराब हो गया है
और बाल तो देखो झाडू जैसे हो गये है। समीर, मुझे फेसिअल और बाल कटवाने के लिए 1000 रु. चाहिए। समीर : 1000 रु.! पागल हो गई हो क्या? डॉली : इसमें पागल होने की क्या बात है? मैं अपने घर में हर हफ्ते हज़ार रु. खर्च करती थी। समीर : लेकिन डॉली, फिलहाल मेरे पास इतने रुपये नहीं है।