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________________ (यह सब देख डॉली सारी बात समझ गई। इतने में समीर ने उसे गिफ्ट दिया।) डॉली : समीर! यह तो वही ड्रेस है ना जो उस दिन .... (डॉली सारी बात समझ गई। खुशी से डॉली की आंखे भर आई) समीर : (आँसू पोछते हुए) डॉली इसमें रोने की क्या बात है? तुम तो मेरा सपना हो और अपने सपने का सपना मैं पूरा नहीं करूंगा तो कौन करेगा? डॉली : समीर, तुम्हें कैसे पता चला कि इस प्रकार की बर्थ-डे पार्टी रेंज करना मेरा ख्वाब था। समीर : डॉली, शायद तुम भूल गई हो पर मैं कैसे भूल सकता हूँ। याद है कॉलेज में तुम्हारे बर्थ-डे के दिन तुमने मुझसे कहा था कि “समीर मेरी बहुत इच्छा है कि मैं एक आलीशान 5-स्टार होटल में बर्थ-डे पार्टी दूँ, मेरी सारी फ्रेन्डस् को इनवाईट करूँ। मैं रेडी होकर होटल में एन्टर करूँ। सब मुझे विश करें और पास में म्यूज़िक भी हो" डॉली उस वक्त यह सब मेरे हाथ में नही था क्योंकि उस वक्त मेरी परिस्थिति नहीं थी। आज तो मैं कर सकता हूँ ना। बस तुम्हारे फ्रेन्डस् को नहीं बुला पाया, उसका मुझे अफसोस है। डॉली : उनकी अब मुझे कोई जरुरत नहीं है समीर! मुझे तुम मिल गए तो सब मिल गया। समीर किन शब्दों में कहूँ कि मैं कितनी खुश हूँ। एक दोस्त : अरे अब मियाँ-बीबी की खुसर-पुसर बंद हो तो हमें भी भाभीजान से मिलने का और उन्हें विश करने का मौका मिले। (सभी हँस पड़े। समीर ने सभी से डॉली का परिचय करवाया। खाते, पीते, नाचते देर रात तक पार्टी चलती रही। अपने हर एक सपने को साकार होता देख डॉली तो अपने-आपको विश्व की सबसे खुशनसीब इंसान मानने लगी। उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि समीर उसे इतना बड़ा गिफ्ट देगा। इस प्रकार भोगविलास में डूबी डॉली ने गर्भ धारण किया और खुश होकर उसने यह बात समीर को बतायी।) ... डॉली : क्या बात है समीर ? मेरी बात सुनकर तुम्हारे चेहरे पर वह खुशी नहीं दिख रही है, जो दिखनी चाहिए थी। कोई टेंशन है क्या? समीर : डॉली! वो क्या है ना बात तो खुशी की है, पर वैसे भी हमारा घर छोटा है। इतनी गरीबी में उस नये मेहमान की परवरिश बहुत मुश्किल है, इसलिए मैं सोचता हूँ कि नौकरी और नया फ्लेट लेने के बाद ही हम इन सब चीज़ों के बारे में सोचेंगे। फिलहाल तो तुम एबोर्शन करवा दो तो अच्छा रहेगा। डॉली : क्या? एबोर्शन .. समीर ये क्या कह रहे हो तुम? ये तो हमारे पहले प्यार की पहली निशानी है। नहीं समीर....
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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