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ऊपर-नीचे है तथा छठे देवलोक के नीचे तीसरा किल्बिषिक है एवं पाँचवें देवलोक के पास 9 लोकांतिक देवों के स्थान है। आठवें देवलोक के बाद 13 वें राज में 9-10 तथा11-12 देवलोक आमने-सामने हैं। उसके ऊपर 14 वें राज में 9 ग्रैवेयक, 5 अनुत्तर तथा सिद्धशीला है। ___ 9 ग्रैवेयक तथा 5 अनुत्तर में कल्प की मर्यादा नहीं होने से तथा सभी देव इन्द्र के समान होने से ये अहमिंद्र देव कहलाते हैं। ये देव कल्पातीत है। ये देव परमात्मा के समवसरण आदि में भी नहीं जाते। पूरी जिंदगी शय्या पर लेटे-लेटे ही सुख भोगते हैं। यहाँ का सुख अद्भुत होता है। काया या वचन का कोई विशेष व्यापार यहाँ नहीं होता। देवों की उत्पत्ति
देवताओं का उपपात जन्म होता है। प्रत्येक विमान में अलग-अलग प्रकार के देवों की उपपात शय्या होती है। जिस प्रकार के देव का आय एवं गति बांधी हो वैसे हल्के या उच्च जाति के देव वाली शय्या में जीव उत्पन्न होता है। 1 अंतर्मुहूर्त (48 मिनट से कम समय) में आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वासोश्वास, भाषा एवं मन इन छ: पर्याप्ति को पूर्ण कर 16 वर्ष के युवान के समान शरीर वाला बन जाता है। उस समय देवलोक. में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। सभी देव जय-जय नंदा, जय-जय भद्दा कहकर बधाई देते हैं। जन्म के समय जैसा सुरूपवान शरीर होता है। वह मरणांत समय तक वैसा ही रहता है। बाल-वृद्धादि अवस्थाएँ वहाँ नहीं होती। हमेशा जवानी रहती है। मात्र मरण के 6 महीने पहले इनके गले की फूल की माला करमा जाती है। जिससे मरण नज़दीक जानकर ये देव अतिशय विलाप करते हैं। यह विलाप अतिभयंकर होता है।
सभी देव अवधिज्ञानी होते हैं। कल्पातीत सिवाय के सभी देवलोक में पाँच सभा होती है। (1) उपपात सभा - यहाँ देवदुष्य से ढकी हुई एक शय्या होती है जिसमें देव उत्पन्न होते हैं। (2)अभिषेक सभा - जन्म के बाद इस सभा में सुगंधित जल से स्नान करते हैं। (3) अलंकार सभा - स्नान कर इस सभा में वस्त्रालंकारादि को धारण करते हैं। (4)व्यवसाय सभा - सज्ज होकर इस सभा में आकर यहाँ रही हुई धार्मिक एवं अपने कर्तव्यों को बताने वाली पुस्तकों का वांचन करते हैं। यदि कोई इन्द्र उत्पत्ति समय में मिथ्यात्वी हो तो भी इन पुस्तकों को पढ़ते समय उन्हें अवश्य सम्यग् दर्शन हो जाता है। पुस्तकें सोने की एवं रत्नों के अक्षर वाली तथा शाश्वत होती है। (5) सुधर्म सभा - इस सभा के सिद्धायतन में भगवान की पूजा करते हैं।
इस प्रकार विमान के मालिक देव जन्मते ही अपने आचारादि की जानकारी प्राप्त करते हैं। देवों के