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________________ सात नारकी के नाम-गोत्र-कारण एवं आयु | नरक | नाम | गोत्र । कारण | आयु । शरीर की ऊँचाई | 1 | धम्मा | रत्नप्रभा । रत्नमय | 1 साग. | 7% धनु. एवं 6 अंगुल । वंशा शर्कराप्रभा कंकरमय 3 साग. 15% धनु. एवं 12 अंगुल शैला वालुकाप्रभा 217 धनु. अंजना पंकप्रभा कादवमय 10 साग. 627 धनु. | 5 रीटा । धूमप्रभा । धूएँ जैसी | 17 साग. | 125 धनु. मघा तमस्प्रभा अंधकारमय 22 साग. | 7 | माघवती | तमस्तमप्रभा | अतिअंधकारमय | 33 साग. | 500 धनु. रेतीमय 7साग. कितने नरक में से आने वाला नीव क्या बन सकता है? पहली नरक में से आनेवाला चक्रवर्ती बन सकता है। दो नरक में से आनेवाला वासुदेव बन सकता है। तीन नरक में से आनेवाला अरिहंत बन सकता है। चार नरक में से आनेवाला केवली बन सकता है। पाँच नरक में से आनेवाला साधु बन सकता है। छ: नरक में से आनेवाला श्रावक बन सकता है। सात नरक में से आनेवाला सम्यक्त्वी बन सकता है। __ौन-से जीव कहाँ तक जाते हैं? समूर्छिम पंचेन्द्रिय - 1 नरक तक नोलिया, चूहा आदि - 2 नरक तक पक्षी सिंह सर्प - 5 नरक तक स्त्री पुरुष एवं मत्स्य - 7 नरक तक तीर्थकर प्रभु के जन्म के समय कौन-सी नरक में कितना प्रकाश फैलता है ? पहली नरक में - तेजस्वी सूर्य समान दूसरी नरक में - आच्छादित सूर्य समान तीसरी नरक में - तेजस्वी चन्द्र समान चौथी नरक में - आच्छादित चन्द्र समान -3 नरक तक -4 नरक तक -6 नरक तक (026
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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