SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 36
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नीचे की नरकों में परमाधामी न होने पर भी क्षेत्रकृत वेदना इतनी भयंकर होती है कि वह वेदना परमाधामी कृत वेदना से भी ज्यादा होती हैं। मातों नरक में क्षेत्र (स्थानिक) बेदना के 10 प्रकार - हिमालय पर्वत पर बर्फ गिरता हो एवं ठंडी हवा चल रही हो उससे भी अनंतगुणी ठंडी नारकी जीव सहन करते हैं। • चारों तरफ अग्नि की ज्वालाएँ हो एवं ऊपर सूर्य भयंकर तप रहा हो उससे भी अधिक ताप । - - दुनियाभर की सभी चीज़ें (खाद्य-अखाद्य ) खा जाये तो भी भूख नहीं मिटती । 1. शीत वेदना 2. उष्ण वेदना 3. भूख की वेदना 4. तृषा वेदना 5. खुजली की वेदना - चाकू से खुजले तो भी खंजवाल नहीं मिटती । 6. पराधीनता - हमेशा पराधीन ही रहते हैं। 7. बुखार - हमेशा शरीर खूब गरम रहता है। 8. दाह - - सभी नदी - तालाब - समुद्र का पानी पी ले तो भी शांत न हो ऐसी तृषा लगती है। अंदर से खूब जलता है। 9. भय परमाधामी एवं अन्य नारकों का सतत भय रहता है। भय के कारण सतत शोक रहता है। 10. शोक रस दीवार आदि के स्पर्श मात्र से भी उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। नरक की ज़मीन मांसखून - श्लेष्म-विष्टा से भरपूर होती है। नरक में रंग-बिभत्स, गंध - सड़े हुए मृत कलेवर के समान,. कड़वा एवं स्पर्श बिच्छु के समान होता है। निर्वस्त्र एवं पंख छेदने पर जैसी पक्षी की आकृति होती है वैसी अत्यन्त बिभत्स आकृति वाले नारकी के जीव होते है । नरक में कौन जाते हैं? अति क्रूर सर्प, सिंहादि, पक्षी, जलचर, नरक में से आते हैं, एवं पुन: नरक में जाते हैं। धन की लालसा, तीव्र - क्रोध, शील नहीं पालने पर, रात्रि - भोजन करने पर, शराब, मांस, होटल आदि का खाना खाने पर एवं दूसरों को संकट आदि में डालने पर जीव नरक में जाता है तथा पाप, महा मिथ्यात्व एवं आर्त्त-रौद्र ध्यान के कारण जीव नरक में जाकर ऐसी तीव्र वेदना को सहन करता है । वहाँ उसको बचाने एवं सहाय करने वाला कोई नहीं होता । वहाँ माँ - बाप या सगे-संबंधी भी नहीं होते । सहानुभूति देने वाला कोई नहीं होता । 024
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy