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प्रशांत : तुम्हें तो बस गलती ही निकालनी आती है। सुशीला : आप चुप ही रहिए। आपको क्या पता यह कितनी चालाक है।
(शाम तक तो मोक्षा ने ब्लाउज सिलकर अपने सासुजी के हाथ में दे दिया, साथ ही जबरदस्ती सासुमाँ के हाथ पर मेंहदी लगाने लग गई।) सुशीला : अरे मोक्षा! ये क्या कर रही हो? मोक्षा : मम्मीजी! आपकी सालगिरा है, आपके हाथ कोरे कैसे रह सकते हैं ? इसलिए मैं आपके हाथों में मेहंदी लगा रही हूँ।
(इस प्रकार मोक्षा ने अपने हाथ आए एक भी प्रसंग को जाने नहीं दियाऔर अपने सासु का दिल जीतने की शुरुआत की। दूसरे दिन जब सुशीला पूजन के लिए तैयार हो गई। तब-) सुशीला : अरे बेटा विधि! और कितना टाईम है तैयार होने में ? पूजन का टाईम हो गया है। विधि : हाँ माँ! बस 15 मिनिट। सुशीला : बेटा! पूजन में जाना है कोई पार्टी में नहीं, जो तू 1 घंटे से तैयार हो रही हैं।
(इतने में मोक्षा तैयार होकर आई।) मोक्षा : माँ! आज तो आप बहुत सुंदर लग रही हो। ये कलर आप पर बहुत ज्यादा ऊंच रहा है। माँ, आप इस कुर्सी पर बैठिए, पापा आप भी यहाँ आकर बैठिए ना। सुशीला : अरे, क्या कर रही हो मोक्षा हम दोनों को पास में बिठाकर?
(इतने में मोक्षा अपने कमरे से चित्र बनाने के लिए कागज़ और पेन्सील लेकर आई।) मोक्षा : मम्मी-पापा! आप दस मिनिट तक ऐसे ही बैठना, वैसे भी विधि को आने में देर है।
__(और मोक्षा ने 15 मिनिट में विधि के आने से पहले ही एक सुंदर-सा चित्र बनाकर अपने सासससुर को गिफ्ट दिया।) प्रशांत : वाह बेटा! क्या चित्र बनाया है, है ना सुशीला ? सुशीला : हाँ हाँ ठीक है।
__ (पूजन से आने के बाद मोक्षा ने चउविहार किया, और शाम को अपने सास की मनपसंद खीरपुड़ी बनाने में लग गई। इस तरफ...) विधि : माँ, ये फोटो किसने दिया आपको ? कितना सुंदर है ये फोटो! सुशीला : बेटा! ये तुम्हारी भाभी ने बनाकर मुझे दिया है, कुछ सीख अपनी भाभी से, कितना सुंदर चित्र