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________________ पियर जाने के बाद सारा भार सुशीला पर आने के कारण उसे रह-रहकर मोक्षा की याद आती थी। वह सोच ही रही थी कि मोक्षा कितनी जल्दी आए और घर को संभाले भले ही स्वार्थ के कारण पर फिर भी सुशीला को मोक्षा की कमी महसूस होने लगी। मोक्षा विवेक के साथ ससुराल आई । आते ही - ) मोक्षा : प्रणाम मम्मीजी ! सुशीला : आ गई मोक्षा, घर में सब ठीक तो है ना? मोक्षा : हाँ मम्मीजी ! घर में सब ठीक है, मम्मी ने आपको बहुत याद किया है। सुशीला : सफर के कारण थक गई होगी। जाओ, थोड़ी देर आराम करके आ जाओ। फिर बाते करेंगे। मोक्षा : ठीक है मम्मीजी । (मोक्षा सामान लेकर अंदर गई और थोड़ी देर बाद अपनी सास के कमरे में जाती है।) मोक्षा : मम्मीजी ! मम्मी ने आपके लिए ये साड़ी भेजी है। सुशीला : अरे ! इसकी क्या जरुरत थी ? वैसे साड़ी तो बहुत अच्छी है, पर ब्लाउज तैयार नहीं होगा ना ? नहीं तो मैं कल पूजन में पहन लेती। मोक्षा : मम्मीजी ! कैसा पूजन ? सुशीला : अरे हाँ मोक्षा! मैं तुम्हें कहना ही भूल गई । कल मेरी और तुम्हारे ससुरजी की 35 वीं सालगिरा है इसलिए तुम्हारे ससुरजी ने कहा- क्यों न इस बार पूजन पढ़ा लिया जाए, मुझे भी बात जँच गई। इसलिए विवेक को भी तुम्हें लेने के लिए भेज दिया ताकि तुम भी पूजन में भाग ले सको, पर मोक्षा । यहाँ पर तो कोई टेलर मुझे इतनी जल्दी ब्लाउज सिकर नहीं देगा। मेरी बहुत इच्छा है कि मैं यही साड़ी पहनूँ । मोक्षा: मम्मीजी ! आपकी सालगिरा वाह! आप ब्लाउज की कोई चिंता मत करो। मैं आपको शाम तक सिलकर दे दूँगी। सुशीला : तू? तुझे सिलाई आती है क्या ? मोक्षा : हाँ मम्मीजी ! मुझे सिलाई आती है। सुशीला : तूने कभी कहा तो नहीं। मोक्षा: मम्मीजी ! कभी जरुरत ही नहीं पड़ी। (इतना कहकर मोक्षा चली गई।) सुशीला : जरुर घर में सिलाई का काम न करना पड़े, इसलिए नहीं कहा होगा। मैं भी देखती हूँ कि शाम तक कैसे मिलती है ?
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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