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________________ बातें पियर में जाकर नहीं करनी चाहिए और ना ही पियर की बातें ससुराल में करनी चाहिए क्योंकि कई बार समझ फेर के कारण अनावश्यक टकराहट का वातावरण बनता है। यहाँ पर मोक्षा ने भी अपने ससुराल की बातें अपनी माँ को बतानी उचित नहीं समझी, पर जयणा ने एक माँ का कर्तव्य निभाते हुए अपनी बेटी की उदासी का कारण पूछा ? तब भी मोक्षा बताना नहीं चाहती थी। लेकिन वह जानती थी कि मेरी शंकाओं का सही समाधान मुझे माँ के सिवाय और कही से नहीं मिलेगा। अत: उसने सारी बाते माँ को बता दी और उसकी माँ ने भी उसे इतने सुंदर समाधान दिए कि जिससे एक कुटुंब बिखरने से बच गया, यदि ऐसा न होता तो कल मोक्षा संयुक्त कुटुंब से अलग हो जाती और न जाने उसे कितनी ही समस्याओं का सामना करना पड़ता। ___ आजकल के वातावरण पर हम नज़र डाले तो अधिकांश माताएँ अपनी पुत्रियों को विदाई की अंतिम हितशिक्षा में यही कहती है कि "बेटा, अपने ससुराल में किसी से डरकर मत रहना। कोई तुम्हें एक सुनाए तो तुम चार सुनाना। पति को अपने वश में रखना। ससुराल में कोई ज्यादा तकलीफ आ जाए या किसी से अनबन हो जाए तो किसी प्रकार की चिंता मत करना और सीधे अपने पियर आ जाना। हम तुम्हारी और दामादजी की सारी व्यवस्था कर देंगे"। बेटियों को संयुक्त परिवार से अलग होने का जबरदस्त पीठबल तो अपनी माँ से ही मिल जाता है। वैसे भी आजकल की बेटियों में सहनशीलता न होने के कारण व माँ का साथ होने के कारण जरा-सी अनबन हुई नहीं कि अपने पियर आकर बैठ जाती है। उसमें भी माताएँ अपनी बेटियों को यही सिखाती है कि "दामादजी लेने आए तब कह देना कि आप अलग घर लेंगे तो ही मैं आपके साथ आऊँगी वर्ना नहीं'। बेचारा पति क्या करें। अपनी पत्नी को घर पर लाने के लिए उसे अपनी माँ से अलग होना ही पड़ता है। यानि कि अपनी पत्नी की धमकी के आगे पति को झुकना ही पड़ता है। इस प्रकार अपनी पुत्री को अनुकूलता देने की दृष्टि से माताएँ अपने हाथों से अपनी पुत्रियों को समस्याओं के कुएँ में ढकेल देती है। हर माताओं को जयणा का उदाहरण लेकर अपनी पुत्रियों को संयुक्त परिवार के महत्त्व समझाते हुए उनके टूटते घर को बचा लेना चाहिए। ___मोक्षा पियर तो आई थी इस इरादे से कि उसे वापस उस घर में कदम रखना न पड़े, पर अब वह उस दिन का इन्तजार करने लगी कि कब उसके घर से बुलावा आये और वह परिवार के सभी सदस्यों को प्रेम देकर एक सूत्र में बांधे। दो-तीन दिन बाद विवेक मोक्षा को लेने आया। जयणा ने मोक्षा की सास के लिए एक साड़ी और ननंद के लिए एक ड्रेस, बाकी परिवार के सभी सदस्यों के लिए कुछ न कुछ भेजा। मोक्षा के पियर जाने के बाद घर का सारा काम सुशीला को ही करना पड़ता था। विधि सुबह छ: बजे कॉलेज जाती तो सीधा शाम छ: बजे ही आती थी और मोक्षा के आने के बाद तो सुशीला ने घर का काम छोड़ दिया था।
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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