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तो फिर इन दोनों गुणों को अपनाकर हम स्वतंत्र परिवार में भी शांति से सुरक्षित रह सकते है ना? जयणा : चलो, मानती हूँ कि इन दो गुणों के द्वारा तुम अपने स्वतंत्र परिवार में शांति से सुरक्षित रह पाओगी। लेकिन जरा सोचो, अपने सास-ससुर के बारे में जब कभी बेटे का जन्म होता है तो माँ-बाप यही सोचते है कि बड़ा होकर यह हमारे बुढ़ापे की लाठी बनेगा। हमें हमारी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त करके धर्माराधना करने की अनुकूलता देगा और हमारा बुढ़ापा तो पोते-पोतियों के साथ हँसते-खेलते, उन्हें कहानियाँ सुनाते यूँ ही बीत जाएगा।
इन्हीं कुछ अरमानों के साथ तुम्हारे सास- ससुर ने विवेक को जन्म देकर बड़ा किया होगा और तुम यह कदम उठाकर उनके लिए पोते-पोतियों के दर्शन तो दूर विवेक के दर्शन भी दुर्लभ बना दो तो यह तुम्हारी क्रूरता नहीं ? मोक्षा, तुम अभी तक माँ नहीं बनी हो ना, इसलिए माँ की ममता क्या होती है? वह तुम नहीं जान पाओगी। तुम्हें इतना तो पता ही होगा कि माँ-बाप की आँखों में आँसू दो कारण से ही आते है। एक तो पुत्री की विदाई पर और दूसरा पुत्र की बेवफाई पर। ऐसा न हो कि तुम्हारा उठाया हुआ यह कदम, भविष्य में तुम्हारी ओर आकर ही खड़ा हो जाए। बीस साल तक जिस माता-पिता ने विवेक को पाल पोसकर बड़ा किया उन उपकारी माता-पिता की आँखों में उनसे अलग होकर यदि विवेक आँसू ला सकता है तो तुम्हारे और विवेक के संबंध को तो अभी एक साल भी नहीं हुआ है तो वह भविष्य में तुम्हारी आँखों में आँसू लाये उसमें कौन-सी बड़ी बात है, इसलिए प्रतिकूलताओं को सहन करके भी अपने भविष्य को सलामत रखने के लिए और अपने सास-ससुर के आशीर्वाद पाने के लिए संयुक्त परिवार में रहना ही श्रेयस्कर है। मोक्षा : तो इसका मतलब यही हुआ कि मुझे ही सहनशील बनना चाहिए। यानि कि एक पालतू कुत्ते को उसका मालिक व उसके घर वाले चाहे जितना भी मारे या परेशान करें, पर वह सब कुछ सहन ही करता है। ठीक वैसे ही मुझे भी मेरी सास व ननंद चाहे जितना भी परेशान करें, पर मुझे सिर्फ सहन ही करना है और उनका प्रतिकार नहीं करना है। यही आपका कहना है ना? लेकिन माँ, मैं यदि अपने शरीर को गौण करके सिर्फ सहन करती रहूँ और मेरी तबियत बिगड़ जाए तो उसका जिम्मेदार कौन? फिर अस्वस्थता के कारण यदि मैं काम न करूँ जिससे घर के सारे सदस्यों का मुँह बिगड़ जाए तो उसका क्या? मैं आपसे पूछती हूँ कि संयुक्त परिवार में यदि बहू के कुछ फर्ज है तो सास के कोई फर्ज नहीं है? भाभी के कुछ कर्तव्य है तो देवर
और ननंद के कोई कर्तव्य ही नहीं? मेरे अनुसार घर में शांति का वातावरण लाने के लिए अकेली मुझे ही सुधरने की आवश्यकता नहीं, अपितु मेरी सास को भी अपना दिमाग ठिकाने लाना उतना ही जरुरी है। जयणा : बेटा, फिलहाल तो तुम अब उस घर में बहू के स्थान पर हो, इसलिए मैं तुम्हें बहू के कर्तव्य सीखा