SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 102
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवेश कर ले और तुम्हारे शील पर आक्रमण करें, तब उस समय में तुम्हारे शील की रक्षा करने वाला कौन? स्वतंत्र परिवार में कभी तुम्हें मायके आना हो तब तुम्हें मायके आने के बाद भी पीछे से कितनी टेन्शन रहेगी कि विवेक कहाँ खाएगा? विवेक के कपड़े कौन धोएँगा? विवेक अकेला कैसे रहेगा? ऐसे में एम.सी. का पालन भी कितना दुष्कर हो जाएगा? चलो ये सब तो छोड़ो लेकिन एक खास बात मायके आने के बाद तुम्हारी अनुपस्थिति में विवेक कोई गलत कार्य कर बैठे तो उसका जिम्मेदार कौन? और इतना ही नहीं विवेक की अनुपस्थिति में तुम भी कोई गलत कार्य कर बैठो तो ? स्वतंत्र और अकेले होने के कारण तुम्हें वहाँ रोकने वाला कोई नहीं होगा। यह तो हुई शील एवं सदाचार संबंधी बातें। लेकिन किसी निमित्त को पाकर तुम दोनों के बीच झगड़ा हो जाए और आवेश में आकर विवेक तुम पर हाथ भी उठा दे। तुम भी गुस्से में आकर कुछ अनुचित कर बैठो तो वहाँ तुम्हें रोकने वाला कौन? संयुक्त परिवार में तो सास-ससुर का डर होने के कारण ये झगड़े कमरे तक ही सीमित रहते है। लेकिन स्वतंत्र परिवार में वे झगड़े आत्महत्या तक पहुँच जाते हैं। शायद तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं होता होगा, लेकिन यह सब सम्भव है। पता है - पिछले सप्ताह ही अपने पड़ोस के मोहल्ले में एक करुण घटना घटी। करीब 20 वर्ष की एक विवाहित युवती ने अपने शरीर पर मिट्टी का तेल छिड़ककर मरने का प्रयास किया। उस युवती ने यह कदम क्यों उठाया? इसके बारे में वहाँ के एक युवक के द्वारा जब मैंने जाना तो मैं स्तब्ध रह गयी। उस युवती ने प्रेम विवाह किया था। संयुक्त कुटुंब में रहते हुए उसने झगड़ा करके पति को माँ-बाप के विरुद्ध भड़काकर संयुक्त परिवार से अलग किया। शुरुआत में दो वर्ष तो ठीक-ठीक गए, परन्तु बाद में दोनों के बीच झगड़े शुरू हुए। बोलाचाली, गाली-गलौच, मारपीट तक मामला पहुँच गया। आखिर तलाक तक बात पहुँच गयी और एक दिन झगड़ा इतना बढ़ गया कि आवेश में आकर पत्नी ने अपने पर घासलेट डाल दिया और जलकर मर गई। जब हॉस्पिटल में आखरी सांस ले रही थी तब दूर खड़े अपने पति से कहती गयी कि 'इस जन्म में तो तुझे जिंदा रखकर मैं जली हूँ, परन्तु अगले जन्म में स्वयं जिंदा रहकर तुझे जलाऊँगी।' बेटा, आँख मिली व संबंध बंध तो गया, परन्तु आँख बंद होने के बाद अगले जन्म में ये संबंध टिके न रहें, इसकी घोषणा करती गयी। कितनी करुण है यह घटना! यह घटना यही सूचित करती है कि इस राह पर कदम भरने से पहले प्रत्येक जवान दम्पति को लाख बार सोच लेना चाहिए। मोक्षा! ऐसी कोई घटना भविष्य में तुम्हारे साथ न घट जाए। इसलिए प्रतिकूलताओं को नज़र अंदाज़ करके कुशलता एवं सहिष्णुता इन दो गुणों के द्वारा अपने जीवन को सुरक्षित बनाकर संयुक्त परिवार में रहना ही तुम्हारे एवं विवेक के भविष्य के लिए हितकर है। मोक्षा : तो माँ, यदि कुशलता एवं सहिष्णुता ये दो गुण ही जो जीवन को सलामत रखने के लिए उपयोगी है
SR No.002438
Book TitleJainism Course Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy