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________________ सुषमा- लगता है शिविर का भूत तुम्हारे दिमाग से अभी तक उतरा नहीं है। खैर किसने क्या मिस् किया यह तो बाद में पता चलेगा। (इस प्रकार दोनों अपनी-अपनी सोच के अनुसार अपना-अपना जीवन व्यतीत करने लगी। शिविर के बाद जयणा अब नित्य जिनपूजा, यथासंभव व्याख्यान श्रवण, रात्रिभोजन- कंदमूल का सर्वथा त्याग, द्विदल तथा बासी का पूरा ध्यान रखने लगी। उसने अपने परिवार वालों को भी शिविर की सारी बातें बतायी और उन्हें भी धर्म मार्ग पर जोड़ने की कोशिश की। धीरे-धीरे जयणा का परिवार भी धार्मिक वातावरण में जुड़ने लगा। इस प्रकार एक शिविर ने जयणा का ही नहीं उसके पूरे परिवार का जीवन सुधारा और आगे जाकर भी जयणा न जाने कितने लोगों को धर्म में जोड़ेगी। यह तो समय ही बतायेगा । और यहाँ जैसे-जैसे सुषमा उम्र में बड़ी होने लगी धर्म मार्ग से उतनी ही विमुख बनती गई। उसे मंदिर जाने के बदले घूमना-फिरना ही अच्छा लगता था। समय बीतने पर जयणा तथा सुषमा दोनों के घर पर उनकी शादी की बात चलने लगी। 1 जयणा के पिताजी ने इस विषय पर जयणा की राय लेनी चाही तब जयणा ने सिर्फ इतना ही कहा,“लड़का दिखने में कैसा है ? उसका रुप रंग कैसा है ? इससे मुझे कोई मतलब नहीं। मुझे तो बस इतना चाहिए कि शादी के बाद वह स्वयं भी धर्म करे तथा मुझे भी ना रोके । ” अत: जयणां का यह निर्णय सुनकर उसके पिताजी ने 'जिनेश' नाम के एक खानदानी, धार्मिक तथा संस्कारी लड़के से उसकी शादी करवा दी। शादी होने के बाद भी जयणा हमेशा साहेबजी के पास वंदनादि करने आती-जाती रहती थी । वैवाहिक जीवन में पति, सास-ससुर, देवर- ननंद आदि के साथ कैसे रहना ? रिश्तों में मधुरता किस प्रकार रखना? साथ ही अपनी हर एक शंकाओं का तथा जिज्ञासाओं का समाधान साहेबजी द्वारा प्राप्त करती रहती थी। और यहाँ सुषमा की शादी उसी के अनुरुप एक पैसे वाले standard तथा मॉर्डन लड़के “आदित्य' के साथ हो गई। शादी के बाद जया तथा सुषमा के जीवन में क्या होगा? उनकी सोच, उनके विचार उन्हें किस मोड़ पर ले जाकर खड़ा करेंगे? मॉर्डन लाईफ स्टाईल से जीने वाली सुषमा और सादा जीवन उच्च विचार के ख्यालात वाली जयणा क्या दोनों अपने ससुराल में सेट हो पायेगी। यह तो सहज बात है कि जैसे माँ के संस्कार होते है वैसे ही संस्कार बच्चों में आते है। अपने-अपने संस्कारों के अनुसार ये दोनों अपने बच्चों में किस प्रकार के संस्कारों का बीजारोपण करते है ? और वे संस्कार उन्हें कहाँ ले जाते है। Indian Culture और Wastern Culture की इस लड़ाई में जीत किसकी होगी तो आइए देखते है जैनिज़म के अगले खंड "Indian Culture V/s Wastern Culture" में 044
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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