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________________ सूत्र से वंदना करें। तत्पश्चात् 14 नियम धारण करें। एवं यथाशक्ति नवकारशी आदि पच्चक्खाण अवश्य ग्रहण करें। सोने की विधि * सूर्यास्त के 1 प्रहर (3 घंटे) बाद यानि लगभग 10 बजे सोना और सुबह 4 बजे उठना। * बायीं करवट से सोना, सोते समय भय के निवारण हेतु 7 नवकार गिनना। * पूर्व दिशा या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोना। दक्षिण दिशा में कभी भी पैर रखकर नहीं सोना। * ऊँधों सुवे अभागियो, सिधो सुवे रोगी। डाबे पड़खे सहु कोई सुवे, जमणे पड़खे जोगी।। अर्थात् डाबे पड़खे सोना चाहिए। कभी भी उल्टा नहीं सोना चाहिए। इससे व्यक्ति भाग्य हीन हो जाता है और न ही कभी सीधा सोना चाहिए। * सोते समय भगवान का स्मरण करना। नेमिनाथ प्रभु, पार्श्वनाथ प्रभु के स्मरण से बुरे सपने नहीं आते। श्री चन्द्रप्रभु स्वामी के स्मरण से नींद सुखपूर्वक आती है। श्री शांतिनाथ दादा के स्मरण से चोर आदि का भय नाश होता है। * सोते समय शरीर के अंगों पर परमात्मा की स्थापना करते हुए बोले :- काने मारे कुंथुनाथ, आँखे मारे अरनाथ, नाके मारे नेमिनाथ, मुखे मारे मल्लीनाथ, शांति आपे शांतिनाथ, कष्ट निवारे पार्श्वनाथ, भर निद्रा में काल करूँ तो वोसिरे-वोसिरे-वोसिरे। * सोते समय बोलने की भावना 1. आहार शरीर ने उपधि, पच्चक्खु पाप अढ़ार, मरण आवे तो वोसिरे, जीतुं तो आगार। शीयल मारे संथारे, समकित मारे ओशिंगे ज्ञान मारे हैडे वस्यु, भर निद्रामां काल करूं तो वोसिरे-वोसिरे-वोसिरे। पहले सोचे फिर जवाब दे...??? संसार क्षेत्र में आप फ्लेट से बंगले में आए, साईकल से मारुती में आए, कुर्सी से सोफा सेट पर आए, जवाब दीजिए धर्मक्षेत्र में आप पहले कहाँ थे और अब कहाँ पहुँचे? .. 000
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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