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उ.: सात क्षेत्र है : जिन मंदिर , जिन प्रतिमा, जिन आगम, साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका। प्र.: श्रावक किसे कहते हैं? उ.: जो जिनेश्वर भगवान के वचनों पर श्रद्धा रखें, विनय करें एवं दर्शन, पूजा, सामायिक, प्रतिक्रमण, पौषध करें तथा देव-गुरु की भक्ति आदि करें उसे श्रावक कहते हैं। प्र.: श्रावक शब्द का अर्थ क्या है? उ.: श्रा - श्रद्धा रखते हैं।
व - विनय, विवेक करते हैं। क - क्रिया करते हैं।
अर्थात् श्रद्धा से विनय, विवेक पूर्वक जो क्रिया करें वह श्रावक हैं। प्र.: बारह व्रतके नाम लिखो? उ.: 1. स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत। 2. स्थूल मृषावाद विरमण व्रत।
3. स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत। 4. स्थूल मैथुन विरमण व्रत। 5. स्थूल परिग्रह परिमाण व्रत। 6. दिग् परिमाण व्रत। . 7. भोगोपभोग परिमाण व्रत।
8. अनर्थ दंड विरमण व्रत। 9. सामायिक व्रत।
10. देशावगासिक व्रत। 11. पौषध व्रत।
12. अतिथि संविभाग व्रत। प्र.: गरम पानी क्यों पीना चाहिए? उ.: पानी उबालते समय उसमें रहे हुए जीव एक बार तो मर जाते हैं ।लेकिन बार-बार उसमें जो असंख्य नये जीवों की उत्पत्ति होती हैं, वह एक बार पानी गरम करने के बाद नहीं होती, अर्थात् उनकी हिंसा से हम बच जाते हैं। इसलिए गरम पानी पीना चाहिए। प्र.: दर्शन, ज्ञान एवं चारित्र के उपकरणों के नाम लिखो? उ.: दर्शन के उपकरण : चामर, घंट, धूपदानी, दीपक, दर्पण, पंखा, केसर, चंदन, वासक्षेप, कलश, थाली, कटोरी, बाल्टी, कुंडी आदि।
ज्ञान के उपकरण : पुस्तक, ठवणी, कवली, स्थापनाचार्यजी, नवकारवाली, प्रत (किताब), पेन, पेंसिल आदि। चारित्र के उपकरण : रजोहरण (ओघा), मुँहपत्ति, दांडा, डंडासन, आसन, संथारा, उत्तरपट्टा,
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