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________________ समाधिमरण एवं सम्यक्त्व की प्राप्ति आदि। प्र.: श्री जिनेश्वर भगवान के दूसरे नाम क्या है? उ.: अरिहंत, तीर्थंकर, वीतराग, परमात्मा, जिनेश्वर, भगवान, देवाधिदेव आदि। प्र.: वर्तमान में कितने अरिहंत विचरण कर रहे हैं एवं कहाँ पर विचर रहे हैं? उ.: वर्तमान में सीमंधर स्वामी आदि 20 विहरमान महाविदेह क्षेत्र में विचर रहे हैं। प्र.: वर्तमान में किसका शासन चल रहा है? उ.: वर्तमान में चरम तीर्थपति चौवीसवें भगवान श्री महावीर प्रभु का शासन चल रहा है। प्र.: मंदिर में प्रवेश करतेसमयक्याबोलनाऔर भगवान तथाध्वजाकोदेखकर क्याबोलना चाहिए? उ.: मंदिर में प्रवेश करते समय तीन बार निसीहि और भगवान तथा ध्वजा को देखते ही दोनों हाथ जोड़कर 'नमो जिणाणं' बोलना चाहिए। प्र.: जैन को पहचानने का चिन्ह क्या है? उ.: जैन शब्द के ऊपर रही हुई दो मात्राएँ हमें कंदमूल त्याग और रात्रि भोजन त्याग का संदेश देती है। जो इनका त्याग करे वही सच्चे अर्थ में जैन है। तथा ललाट पर किया हुआ चंदन का तिलक श्रावक की पहचान है। प्र.: किन वस्त्रों से पूजा करनी चाहिए? उ.: शास्त्र में कहा गया है कि “पूजा के कपड़े मूल से शुद्ध होने चाहिए। यानि कि भोजन आदि जिन कपड़ों में किया हो वे भले ही धोने में आए फिर भी शुद्ध नहीं होते।" श्राद्ध विधि आदि ग्रंथों में भी पूजा वस्त्र एवं भोग्य वस्त्र अलग-अलग रखने का एवं अशुद्ध वस्त्र से पूजा नहीं करने का विधान है। प्र.: रास्ते में महाराज साहेबजी को देखकर क्या बोलना चाहिए? उ.: दोनों हाथ जोड़कर मस्तक झुकाकर 'मत्थएण वंदामि' बोलना चाहिए। प्र.: तत्त्व कितने हैं? वे कौन-कौन से है? उ.: तत्त्व तीन हैं :- देव, गुरु और धर्म। प्र.: धर्म किसे कहते हैं? उ.: जो जीव को दुर्गति में जाते हुए रोकता है और अच्छी गति में ले जाता है तथा परम्परा से मोक्ष देता है उसे धर्म कहते हैं। प्र.: धन का खर्च करके पुण्योपार्जन करने के लिए कितने क्षेत्र है? कौनसे? OM
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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