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________________ उ.: मंदिर जाने की इच्छा करने पर जाने की इच्छा से उठने पर मंदिर की ओर पैर उठाने पर मार्ग में चलने पर दूर से मंदिर के दर्शन होने पर मंदिर के नज़दीक जाने पर गंभारे के पास आने पर - 1 उपवास 2 उपवास 5 उपवास - 15 उपवास 30 उपवास 5 महीनें के उपवास 1 वर्ष के उपवास 100 वर्ष के उपवास 1000 वर्ष के उपवास 1 लाख वर्ष के उपवास जितना लाभ प्राप्त होता है । प्रदक्षिणा देने अष्टप्रकारी पूजा करने पर फूल की माला चढ़ाने पर प्र.: जिनेश्वर 24 ही क्यों होते हैं ? उ.: जब सर्व ग्रह नक्षत्र उच्च स्थान पर आते है तभी तीर्थंकर प्रभु का जन्म होता है। पूरे अवसर्पिणी काल में ऐसा समय मात्र 24 बार ही आता है। अनंत काल से तथा लोक स्वभाव से भी भरत - ऐरावत क्षेत्र में एक अवसर्पिणी में 24 तीर्थंकर ही होते है। प्र.: सब भगवान में सबसे शांत स्वरुप किसका है और वास्तविक हितकारी कौन है ? उ.: सब भगवान के फोटो सामने रखकर देखने पर तीर्थंकर प्रभु ही सबसे शांत मुद्रा वाले दिखते हैं । जिनको देखते ही मस्तक झुक जाता है और वे ही मध्यस्थ भाव वाले होने से बिना पक्षपात के सबके लिए समान हितकारी हैं। प्र.: पंच परमेष्ठी किसे कहते हैं? उ.: परम (उच्च) स्थान पर बिराजमान ऐसे अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु ये पंच परमेष्ठी हैं। प्र.: पाँच कल्याणक के नाम बताओ ? उ.: च्यवन, जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान एवं मोक्ष ये पाँच कल्याणक है। प्र.: चार मंगल कौन-कौन से हैं? उ.: अरिहंत, सिद्ध, साधु एवं धर्म अथवा वीर प्रभु, गौतम स्वामी, स्थूलभद्रसूरिजी एवं जैन धर्म मंगल हैं। प्र.: प्रभु के पास क्या माँगना चाहिए? उ.: जयवीयराय में बतायी गई 13 वस्तुएँ माँगने लायक हैं । जैसे संसार से वैराग्य, प्रभु चरणों की सेवा, 1096)
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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