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________________ पात्रा, तरपणी, चोलपट्टा, लोट, पात्राबंधन, झोली, गुच्छा, पागरणी, कंचुकी, साडा, पात्र केसरीका, प्याला, मातरीया, रजस्त्राण आदि। प्र.: शिबिर यानि क्या? उ.: शि - शिक्षा बि - बीज र - रोपन (अर्थात् शिक्षण के बीज का रोपन करना।) प्र.: जिन पूजा करने से आठ कर्मों का नाश कैसे? उ.: चैत्यवंदन करने से - ज्ञानावरणीय कर्म का नाश। प्रभु दर्शन से - दर्शनावरणीय कर्म का नाश। जयणा पालने से . - अशातावेदनीय कर्म का नाश। प्रभु भक्ति करने से - मोहनीय कर्म का नाश।। शुद्ध भाव रखने से - दुर्गति के आयुष्य कर्म का नाश। प्रभु नाम स्मरण से __ - अशुभ नाम कर्म का नाश। वंदन-पूजन करने से - नीच गोत्र कर्म का नाश। शक्ति अनुसार धन खर्च करने से - अंतराय कर्म का नाश। प्र.: क्या करने से सद्गति की प्राप्ति होती है? उ.: दान देने से, राग-द्वेष न करने से, अच्छे भाव रखने से, धर्म पर श्रद्धा रखने से एवं पाप का भय रखने से सद्गति प्राप्त होती है। प्र.: जैन पर्व और अजैनके पर्व लिखो? उ.: जैन पर्व (ये पर्व मनाने चाहिए) अजैन पर्व (ये पर्व नहीं मनाने चाहिए) 1. दीपावली (उपवास करना) दीपावली (फटाके फोड़ना) 2. ज्ञान पंचमी रक्षा बंधन 3. मौन ग्यारस व्रत ग्यारस 4. पोष दशमी शील सातम (बासी खाना) 5. चौमासी चउदस होली 6. आसो-चैत्र (नवपद की ओली) नवरात्री 099
SR No.002437
Book TitleJainism Course Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManiprabhashreeji
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2012
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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