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३- विष्णु पुराण
ई.स. १००से ३०० ई. तक ४. वायु पुराण
ई.स. ३५०-५५० के बीच का ५. श्रीमद्भागवत
ई. छठी शती ६. नारदीय पुराण ई. ७०० से ९०० के बीच ७. मार्कण्डेय पुराण ई. ४०० से ५०० के बीच ८. अग्नि पुराण
ई. ७०० से ९०० ई.के बीच ९. भविष्य पुराण
ई. १० वीं शती १०. ब्रह्मवैवर्त पुराण ई. नवम दसम शती ११. कलंग पुराण
ई. अष्टम् नवम् शती १२. वराह पुराण
ई. नवम्-दशम् शती १३. स्कन्ध पुराण
ई. सप्तम्-नवम् शती १४. वामन पुराण
ई. ६०० से ९०० के बीच १५. कूर्म पुराण
ई. ६०० से ७०० के बीच १६. मत्स्य पुराण
ई. २०० ४०० के बीच १७. गरूड पुराण
ई. ९०० के आसपास १८. ब्रह्माण्ड पुराण ई. ६०० से ९०० के बीच यदि हम आचार्य बलदेव उपाध्याय की इस मान्यता को स्वीकार करें तो पुराणों की रचना का क्रम इस प्रकार होगा१. विष्णु पुराण
ई.स. १०० से ३०० के मध्य २. मत्स्य पुराण
ई.स. २०० से ४०० ३. वायु पुराण । ई.स. ३५० से ५५० . ४. मार्कण्डेय पुराण
ई.स. ४०० से ५०० श्रीमद्भागवत ई.स. ५०१ से ६०० . कूर्म पुराण
ई.स. ६०० से ७०० ७. वामन पुराण
ई.स. ६०० से ९०० ८. ब्रह्माण्ड पुराण
ई.स. ६०० से ९०० " ९. स्कन्द पुराण
ई.स. ६०१ से ९०० १०. अग्नि पुराण
ई.स. ७०० से ९०० ११. नारदीय पुराण
ई.स. ७०० से ९०० १२. लिंग पुराण
ई.स. ७०१ से ९०० के मध्य
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हिन्दी जैन साहित्य में कृष्ण का स्वरूप-विकास • 12