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________________ २६२ दान : अमृतमयी परंपरा जो वस्तु स्वयं श्रम से अर्जित हो, न्यायप्राप्त हो, नीति की कमाई से मिली हो, वह देय वस्तु अधिक बेहतर है, बनिस्पत उसके कि जो अन्यायअनीति से उपार्जित हो या दूसरों की मेहनत से निष्पन्न हो या दूसरों के हाथ से बनी हुई हो । आचार्य हेमचन्द्रसूरिश्वर को सांभर नगर में निर्धन धन्ना श्राविका द्वारा अपने हाथ से काते हुए सूत की बनी हुई मोटी, खुरदरी खादी की चादर का भावपूर्वक दिया गया दान कुमारपाल राजा के रेशमी चादर के दान की अपेक्षा भी बेहतर लगा । वास्तव में धन्ना श्राविका द्वारा दी गई चादर के पीछे उसका अपना श्रम, श्रद्धा और भक्तिभाव था। देय वस्तु के दान के पीछे भी दाता की मनोवृत्ति उदार और निःस्वार्थी होनी चाहिए, न कि अनुदार और दान के बदले में कुछ पाने की लालसा से युक्त। मनुष्य का सद्भाव और दुर्भाव देयद्रव्य के दान को सफल या विफल बना देता है। जगत् में ऐसे बहुत-से लोग हैं, जो किसी आकांक्षा, वांछा, स्वार्थ या प्रसिद्धि आदि की आशा से हिचकते हुए देयद्रव्य देते हैं, परन्तु कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं, जो उदार भावना के साथ किसी प्रकार की स्पृहा या आकांक्षा के बिना करुणा या श्रद्धा से प्रेरित होकर उमंग से देयद्रव्य देते हैं। पहले का देयद्रव्य विकार भाव मिश्रित होने से फलीभूत नहीं होता, जबकि दूसरे का देयद्रव्य निर्विकार भाव से युक्त होने से सफल हो जाता है। प्राचीनकाल में ब्राह्मणों को हाथी, घोडे, क्षत्रियों को शस्त्र-अस्त्र आदि दान दिये जाते थे। परन्तु इस प्रकार के देयद्रव्य का दान मोक्ष फलदायक तो होता ही नहीं । प्रायः पुण्यफलदायक भी नहीं होता। क्योंकि पुण्यफल प्राप्ति के लिए भी शुभ भावना का होना अनिवार्य है। इसीलिए पद्मनन्दि पंचविंशतिका में इस विषय में स्पष्ट संकेत किया है आहारादि चतुर्विधदान के अतिरिक्त गाय (अन्य पशु), सोना, पृथ्वी, रथ, स्त्री आदि के दान महान् फल को देनेवाले नहीं हैं।' तीर्थस्थानों में कुल-परम्परागत रुढ़िवश गोदान या अन्य दानों का १. नान्यानि गो-कनक-भूमि-रथांगनादिदानानि निश्चितमवद्यकराणि यस्मात् । - पद्मनन्दि पंचविंशति २/५०
SR No.002432
Book TitleDan Amrutmayi Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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