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________________ १४६ दान : अमृतमयी परंपरा दुर्लभ कहा गया है, जिसका अभिप्राय है कि दान करना आसान काम नहीं है! हर कोई दान नहीं कर सकता है । सम्पत्ति बहुतों के पास हो सकती है, पर उसका मोह छोड़ना सरल नहीं है। वस्तु पर से जब तक ममता न छूटे, तब तक दान नहीं किया जा सकता । ममता को जीतना ही दान है। . मनुस्मृति और याज्ञवल्क्य स्मृति में दान का बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है। पाराशरस्मृति में दान के सम्बन्ध में कहा है - "ग्रहीता के पास स्वयं जाकर दान देना उत्तमदान है। उसे अपने पास बुलाकर देना मध्यमदान है। उसके बार-बार मांगने पर देना अधमदान है। उससे खूब सेवा कराकर देना। निष्फलदान है।" गीता के १७ वें अध्याय के श्लोक २०, २१ एवं २२ में तीन प्रकार के दानों का कथन किया है - "सात्त्विकदान, राजसदान, और तामसदान । जो दान कर्त्तव्य समझकर उदात्त भाव से दिया जाता है तथा जो देश,काल और पात्र का विचार करके दिया जाता है, जो दान अनुपकारी को दिया जाता है, उसे गीता में श्रेष्ठदान, उत्तमदान एवं सात्त्विक दान कहा गया है। किसी भी प्रकार के फल की आकांक्षा, जिसमें न हो वही सच्चा दान है । अपनी वस्तु मात्र किसी को दे डालना दान नहीं कहा जा सकता । उसमें दाता के भाव का भी मूल्य है। मनुष्य के चित्त में उठने वाले सत्त्वभाव, रजोभाव और तमोभाव के आधार पर दान के परिणाम भी तीन प्रकार के बताए गये हैं। सत्त्वभाव से दिया गया दान दाता और पात्र दोनों के लिए हितकर है। रजोभाव से दिया गया दान चित्त में चंचलता ही उत्पन्न करता है। तमोभाव से दिया गया दान चित्त में मूढ़ता ही उत्पन्न करता रामायण-महाभारत में दान की महिमा : . संस्कृत साहित्य के इतिहास में, जिसे इतिहासविद् विद्वानों ने महाकाव्य काल कहा है, उसमें भी दान के सम्बन्ध में उदात्त विचारों की झलक मिलती है। महाकाव्य काल के काव्यों में सबसे महान् एवं विशाल काव्य दो हैं- रामायण और महाभारत । अन्य महाकाव्यों के प्रेरणा स्रोत ये ही महाकाव्य हैं । दानों महाकाव्यों में यथा प्रसंग अनेक स्थानों पर दान के सम्बन्ध में वर्णन उपलब्ध होते हैं। कुछ प्रसंग तो अत्यन्त हृदयस्पर्शी कहे जा सकते हैं। 'रामायण' में एक
SR No.002432
Book TitleDan Amrutmayi Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPritam Singhvi
PublisherParshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year2012
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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