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गुजरात विभाग : ४ - राजकोट जिला
RATNASANA
SOOR
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
मोरबी जैन मंदिर
सकल तीर्थ वन्दु करजोड़, जिनवर नामे मंगल कोड, पहले स्वर्ग लाख बत्रीस, जिनवर चैत्य नमुं निश दिन ।।१।।
बीजे लाख अठ्ठावीश कयां, बीजे बार लाख सद्दह्या, चौधे स्वर्गे अड लख धारन, पांचमें वन्दु लाख ज चार ।।२।।
छद्रे स्वर्गे सहस पचास, सातमें चालीस सहस प्रासाद। आठ में स्वर्गे छ हजार, नव दश में वन्दु शत चार ।।३।। अग्यार बार में त्रण से सार, नव ग्रैवेयक त्रण से अठार। पाँच अनुत्तर सर्वे मलि, लाख चौरासी अधिकां वली।।४।। सहस सत्ताणुं त्रेवीश सार, जिनवर भवन तणो अधिकार, लांबा सो जोजन विस्तार, पचास ऊँचा बहोतेर धार ।।५।। एकसो एंसी बिंब प्रमाण, सभा सहित एक चैत्ये जाण, सो कोड बावन कोड संभाल, लाख चोराणुं सहस चौआल।।६।। सातसें उपर साठ विशाल, सवि विम्ब प्रणमुंत्रण काल, सात कोड ने बहोतेर लाख, भवनपतिमां देवल भाख।।७।। एक सो एंसी बिम्ब प्रमाण, एक एक चैत्ये संख्या जाण। तेरसें कोड नेव्यासी कोड, साठ लाख वन्दु कर जोड़ ।।८।।
बत्रीसें ने ओगण आठ, तीर्छा लोकमाँ चैत्यनो पाठ, त्रण लाख ऐकाणुं हजार, त्रणसें वीस ते बिम्ब जुहार ।।९।। व्यंतर ज्योतिषी माँ वली जेह, शाश्वता जिन बन्दू तेह। ऋषभ चन्द्रानन वारिषेण, वर्द्धमान नामे गुणसेण ।।१०।। समेत शिखर बन्दु जिन वीस, अष्टापद वंदु चोवीस विमलाचलने गढ़ गिरनार, आबु ऊपर जिनवर जुहार।।११।। शंखेश्वर केसरियो सार, तारंगे श्री अजित जुहार अंतरिक्ख वरकाणो पास, जीरावलो ने थंभण पास ।।१२।। ग्राम नगर पुर पाटण जेह, जिनवर चैत्य नमुं गुण गेह, विहरमान वंदु जिन वीस, सिद्ध अनंत नमुं निशदिन।। १३ ।। अढ़ी द्वीपमाँ जे अणगार, अढ़ार सहस शीलांगना धार। पंच महाव्रत समिति सार, पाले पलावे पंचाचार ।।१४।। बाह्य अभ्यन्तर तप उजमाल, ते मुनि वंदु गुण मणिमाल। नित-नित उठी कीर्ति करूं, जीव कहे भवसायर तरूं ।।१५।।