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मूलनायक श्री पद्मप्रभु स्वामी
९. बेला
मूलनायक जी श्री पद्मप्रभु स्वामी
यह अत्यन्त ही प्राचीन तीर्थ है। आगे समय में मंदिर था। वर्तमान का मंदिर मुर्शिदाबाद वाले बाबू धनपतसिंह जी ने बनवाकर अर्पित किया है। विक्रम संवत १९२७ में प्रतिष्ठा हुई है।
जीर्णोद्धार संवत २०३० में करवाया है। यहाँ की प्रतिमाजी २००० वर्ष प्राचीन है। यह प्राचीन लेख पढ़कर प्रमाण किया है। अनेक बार मंदिर में बाजे बजते हैं। घंटे बजते हैं। अनेक चमत्कार बहुत से भक्तों ने देखे हैं। व्यवस्था उपाश्रय, धर्मशाला, भोजनशाला हैं। मोरबी से कच्छ के मार्ग में १२ कि.मी. हैं।
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१
बेला जैन मंदिर
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पद्मप्रभुजी नु नाम भजो विषय कषाय ने मोह तजो, छड़ा जिनवर जगना नायक, त्रायक ये भवि जनने । करुणासागर करुणानागर, ध्यावो अना ध्यान ने, भजतां भावे (२) मुक्ति लहो, विषय. चोत्रीश अतिशय एहने छाजे, बार गुण शुभ राजे, वाणी पात्रीस गुणनी खाणी, अ पुण्य महिमा छाजे ।
प्रभुजी ना चरणे (२) लीन थजो. विषय. ।। २ ।। कौशाम्बी नगरीनो से राजा, पिता घर छे प्यारा, पद्म लंछन जस चरणे सोहे, माता सुसीमा सारा
एहने ध्याने (२) नित्य रमजो, विषय. ।।३।।
गुण अनन्ता धारे प्रभुजी, गातां नावे पारा,
सिद्धि बधूना से छे पनोता, भविने सिद्धि देनारा
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एना धर्मना (२) पाठ भणजो, विषय. ।।४।।
मणि बुद्धि ने आनंद कारी, हर्ष कर्पूर सूरि राया,
अमृत सूरिजी गुरुवर प्यारा, धर्मबोध सुख पाया,
जपे जिनेन्द्र ( २ ) मुक्ति जजो, विषय. ।।५।।