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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-
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जगत गुरू विजय हीर सूरि जी के शिष्य विजयसेन सूरि जी की निश्रा में विक्रम संवत १६६६ पोष सुद ६ से माघ सुदी ६ तक अंजन शलाका और प्रतिष्ठा होने का उल्लेख हैं। पश्चात संवत १८७६ में जीर्णोद्धार हुआ था। अंत में मूल उद्धार हुआ उसकी शिला स्थापना हालार देशोद्धारक आ. श्री विजय अमृत सूरिजी म. की निश्रा में हुई। इस मंदिर के नीचे के भाग में आगम मंदिर हैं। यहाँ की तमाम मूर्तियाँ प्राचीन एवं चमत्कारिक हैं। ____ उसके बाद संवत २००८ माघ सुदी ६ शुक्रवार को पूज्य आ. श्री
चन्द्रसागर सूरिजी म. के हस्ते प्रतिष्ठा हुई एवं वर्तमान नूतन जिनालय गजेन्द्र पूर्ण प्रासाद बना हैं।
सरस्वती नदी के तट पर समुद्र किनारे बसे हुए गाँव में यह मंदिर अत्यन्त सुहावना एवं नयनाभिराम है। यहाँ पर बगल में श्री मल्लिनाथजी जिनालय हैं। उपाश्रय हैं। धर्मशाला, भोजनशाला है।
गाँव में एक प्राचीन जीर्ण मंदिर हैं, जिसका जीर्णोद्धार आवश्यक हैं। इस १४ मंदिर में अति प्राचीन प्रतिमा हैं।
यहाँ से सोमनाथ मंदिर ४०० मीटर हैं।
यहाँ पर समीप में वेरावल रेल्वे स्टेशन ५ कि.मी. हैं। सोमनाथ बस डिपो पास में हैं केवल १०० मीटर। बस और कार मंदिर तक जा सकती हैं। सम्पूर्ण सुविधायुक्त जैन धर्मशाला और भोजनशाला भी हैं।
८.दीव
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दीव जैन देरासरजी
मूलनायक श्री नेमिनाथजी
मूलनायक श्री नवलखा पार्श्वनाथजी
पद्मानस्थ पीत वर्ण ७६ से.मी. समुद्र के मध्य बसे हुए दीव गाँव के मध्य यह प्राचीन मंदिर हैं। अजाहरा के इतिहास के अनुसार अजयपाल राजा सेना के साथ यहाँ पर पडाव डाल कर रहा था। "बृहत् कल्प सूत्र' में भी इस तीर्थ का उल्लेख देखने को मिलता हैं। कुमारपाल राजा ने यहाँ पर श्री आदीश्वर भगवान का मंदिर निर्माण करवाने का उल्लेख आता हैं । विक्रम संवत १६५० में पूज्य आचार्य श्री हीरसूरिजी महाराज ने यहाँ चार्तुमास किया। इस तीर्थ स्थल का सदियों पहले अद्भुत नाम था। कहा जाता हैं कि नवलाख की आंगी थी। उल्लेख के अनुसार प्रभुजी का मुकुट, हार, आंगी नव-नव लाख में बनवाये थे। सम्भव हैं कि इस कारण ही नवलखा पार्श्वनाथ इस प्रकार नाम प्रचलित हुआ
यहाँ पर मूलनायक उपरान्त श्री नेमिनाथजी, श्री शान्तिनाथजी की प्राचीन प्रतिमायें हैं।
एक दन्त कथा इस प्रकार हैं कि प्रभुजी की प्रतिमा खंडित हो जाने से दरिया में पधरा दी थी परन्तु मंदिर खोला तो प्रतिमाजी आकर बैठी हुई थी।
यह एक चमत्कारिक घटना हैं। दरिया के मध्य यह गाँव टापु पर बसा हुआ है।
समीप में देलवाडा ८ कि.मी. रेल्वे स्टेशन है। ऊना से १३ कि.मी. होता है। ऊना से बस मिलती है। घोघला से बोट (पानी का जहाज) द्वारा भी आ सकते है।
पेढ़ी - श्री अजहरा पंचतीर्थ जैन कारखाना ऊना (जिला जूनागढ़)
यह पेढ़ी ऊना, अजाहरा, दीव, देलवाड़ा वगैरह तीर्थों की व्यवस्था करती हैं।
होगा।
PAC
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