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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
गिरिराज के पहाड़ पर पाँच टोंके हैं। जिनका विवरण इस प्रकार हैं:- | कला सौन्दर्य - पहाड़ पर वनस्पतियों से लहराता हुआ वृक्षों के साथ १ली टोंक - श्री नेमिमाथ भगवान की
कुदरती दृश्य अनुपम हैं। मंदिरों में प्राचीन शिल्पकला का कार्य बहुत दूसरी टोंक - श्री अम्बाजी की
सुन्दर हैं। तीसरी टोंक - ओघड़ शिखर । यहाँ पर नेमिनाथ जी की पादुकायें हैं। मार्ग दर्शन - जूनागढ़ शहर रेल्वे स्टेशन हैं। गुजरात एस.टी. का तथा एक ओटला पर शाम्बकुमार की पादुकायें हैं।
विभागीय (मथक) कार्यालय हैं। चाहें जिस ओर से आने जाने के लिए रेल्वे चौथी टोंक - तीसरी टोंक के दूसरे शिखर पर श्री नेमिनाथ भगवान के और एस.टी बसे मिलती हैं। चरण हैं। (१५०० सीढ़ियों के पश्चात) एक दूसरी शिला पर प्रद्युम्न कुमार व्यवस्था - यहाँ पर गांव में दो जैन धर्मशालायें हैं। सार्वजनिक की पादुकायें हैं।
धर्मशालायें भी हैं। तलहटी में आदीश्वर दादा का मंदिर हैं। धर्मशाला, पाँचवी टोंक-घने जंगल में पर्वत के ऊंचे शिखर पर जहाँ भगवान का भोजनशाला भी हैं । तलहटी में पहाड़ पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ हैं। कमजोर मोक्ष हुआ है वहाँ गणधर वरदत्त मुनि की चरण पादुकायें हैं। यहाँ से एक अशक्त मनुष्यों के लिए डोली भी मिलती हैं। पहाड़ पर रहने के लिए भी रास्ता सहसावन, भरतवन, हनुमान धारा तरफ जाता हैं । १५०० सीढ़ियाँ धर्मशाला हैं। उतरनी पड़ती हैं। सहसावन से भी तलहटी की ओर रास्ता जाता हैं। अब पत्ता - सेठ देवचंद लक्ष्मीचंद की पेढ़ी जगमाल चौक सीढ़ियाँ बन गयी हैं।
जूनागढ़ पिन - ३६२००१
श्री पद्मनाभ स्वामी
सहसावन जिन मंदिर