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गुजरात विभाग : १ भावनगर जिला
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मूलनायक श्री आवीश्वर जी
१७. बोटाद
बोटाद जैन देरासरजी
मूलनायक श्री आदीश्वर भगवान
गाँव में मुख्य बाजार में यह देरासर हैं। मोतीशाह की टूक में से प्रतिमाजी लायी गयी हैं। प्रतिमाजी प्राचीन हैं। प्रतिष्ठा संवत १९०९ माघ सुदी १० मी को, जीर्णोद्धार १९५० एवं संवत १९९३ दो बार। अन्य मंदिर भी चोगान में हैं।
चोगान में श्री मुनिसुव्रत स्वामी का देरासर हैं। नीचे भोयरा में श्री नेमिनाथ जी हैं। प्रथम मंजिल पर सीमन्धर स्वामी एवं चौमुखी हैं। मंडप में पूज्य नेमिसूरीजी म. की मूर्ति हैं। प्रतिष्ठा पू. आ. नेमिसूरिजी म. के हस्ते हुई हैं। परा में हर्ष विजयजी ज्ञानशाला हैं। सं. १९९४ से यहाँ पर श्री महावीर स्वामी का देरासर हैं।
प्रतिष्ठा - सं. २००५ में रोहीशाला से प्रतिमा लायी गयी हैं। सहकार सोसायटी में श्री चिन्तामणी पार्श्वनाथ देरासर हैं।
पाँचवा देरासरजी शंखेश्वर पार्श्वनाथ के जैन विद्यार्थी भवन में हैं। गिरिराज सोसायटी में भव्य देरासर बना हैं। वहाँ पर पू. आ. रुचकचंद्र सूरि जी महाराज की निश्रा में प्रतिष्ठा हुई हैं।
आयंबिल भवन हैं। यहाँ पर लावण्य सूरि ज्ञानमंदिर भव्य हैं। और विशाल ज्ञान भंडार हैं। रेल्वे के मार्ग में भी अहमदाबाद-भावनगर सुरेन्द्रनगर
से आ सकते हैं। चारों ओर से रोड चालू होता हैं। सेठ आनंद भी पेड़ी बीटा (
राग (राखनां रमकडां ने ...) आदिजिन प्रणमतां मारूं (२) हर्षे नाचे रे, जन्मजरा दुःख भूली जईने, आत्मसुख मां माचे रे, झूठी जगनी छाया माया, जल तरंग समानी; नाभिनंदनी छाया मांहे, मुक्ति राणी मझानी रे, आ. १ तत्वत्रयीनी श्रद्धा धरीने अहिंसादि पालन करीए; पंच प्रभु अ तारो लेता, भय वनमा नवि फरिये रे, आ. २. पूज्या में कुदेव कुगुरु, परिग्रही ने आरंभी ;
नव तत्वों ने उंधा मान्या, बन्यो बहु हुं दंभी रे, आ. ३ घोर हिंसा प्रभुजी करी में, अलिक वचन अति बोल्यो ; चोरी करी करावी में तो, नरक दरवाजो खोल्यो रे, आ. ४
ब्रह्मचर्य मां हुं नवि रम्यो, परिग्रह ममता वलगी; भवसागर मां हवी रुलीओ, दखनी होली सलगीरे, आ. ५ क्या पुन्य थी तुमे मल्यां ते, हुँ नवि प्रभुजी जाणु ; बोले जिनेन्द्र तुज दर्शन थी तरवानुं हवे टाणुं रे, आ. ६
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