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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
१६.कारीयाणी
कारीयाणी जैन देरासरजी
मूलनायक श्री शान्तिनाथजी
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मूलनायक श्री शान्तिनाथजी अहमदाबाद के चन्दुभाई नबाव को स्वप्न में आये और उन प्रतिमाजी को यहाँ पर लाने के संकेत अंकित थे । यहाँ पर सेठ माणेकलाल चुन्नीलाल ने शिखरबन्द मंदिर बनाकर स्वयं ने प्रतिष्ठा १९९५ में माघ सुद १३ को प. पू. आचार्यदेव श्री विजय कपूर सूरीश्वरजी महाराज तथा पू.आ. श्री विजय अमृत सूरीश्वर जी म. सा. की निश्रा में की हैं। प्रतिमा प्राचीन हैं। चमत्कारिक प्रतिमाजी है। यहाँ पर देरासर में पट है उसके पीछे हाथ फेरे तो उसकी छाया दिखाई देती हैं। अन्धकार में प्रकाश पड़ता हैं। उपाश्रय हैं। बोटाद से बस मिलती हैं। जैनो के घर है। गांव की बस्ती ४००० हैं।
जे प्रभुना अवतार थी अवनि मां शान्ति बधे व्यापती जे प्रभु नी सुप्रसन्न ने अमी भरी, दृष्टि दुःखो कापती, जे प्रभु भरयौवने व्रत ग्रही त्यागी बधी अंगना, ते तारक जिनदेवना चरण मां होजो सदा वंदना