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मूलनायक श्री संभवनाथजी
राग (ओ बचपन के दिन भुला न देना.....)
ओ संभव जिनवर सेवं भावे,
गुण गाता संतोष न थावे, ओ.
सेना माताजी तात जितारी
कंचन काया हय लंछन धारी पूजतां प्रेमे पातिक जावे । ओ. १
अजब गजब प्रभु छोड़ी माया
केई शिव पाया मुझने पण तुझ ध्यानज फावे ओ. २
अगणित अवदात प्रभुजी तारा
१८. परबडी
चोसठ ईन्द्रो सेवा करनारा, भक्ति करतां निर्मल थावे, ओ. ३
लीधो आसरो प्रभुजी हारो
स्वामी थइने दुःख निवारो त्रिभुवन स्वामी सेवक ध्यावे ओ. ४
कहुं छं प्रभुजी साचे साचूं
मुक्ति बिना हुं कछु नवि याचुं, जिनेन्द्र तुज ने दिलमां लावे। ओ. ५
श्री कायनाथाय नमः
श्री ताम्रमूर्ति suhana
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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ DDDDD
परबड़ी जैन देरासरजी
यहाँ पर हालार देशोद्धारक पू. आ. श्री विजय अमृत सूरीश्वर म. के उपदेश से जिन मंदिर का निर्माण निश्चित हुआ। उसमें पू. आ. श्री विजय मानतुंग सूरीश्वरजी महा. के उपदेश से शिखरबन्द जिन मंदिर बना। सुश्रावक रणछोड़भाई ने मूलनायक आदि का लाभ लिया। श्री संघ ने भव्य महोत्सव पूर्वक सं. २०४६ कार्तिक वद ११ को पू. आ. श्री विजय जिनेन्द्र सूरीश्वरजी महा. की निश्रा में प्रतिष्ठा करवाई हैं।
बगल में गारी आधार भव्य प्राचीन जिन मंदिर हैं। -
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जयति शासनक
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