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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
बाडमेर जिला
१. बाडमेर
लीचिन्तामा पाश्र्वनापरवमी भीरचन्द
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बाडमेर जैन देरासरजी
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मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री महावीर स्वामी
यह देरासर ५०० साल पूराना है । इसका जिर्णोद्धार पू. आ. श्री गुणसागर सू. म. न आज से ६ साल पहले कराया था । श्री चितामणि पार्श्वनाथजी की मूर्ति संवत ११११ में पूराने करारु से लाये थे । बोहरा नेमाजी जिवराजजी ने भगवान श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा सं. १६८५ में की थी । यह धर्ममूर्ति सूरि ने सं. ११६६ में यह भगवान की प्रतिष्ठा की थी । उपर का लेख भगवान के नीचे पूराना परिकर में है । २०३३ में इनकी प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी।
यहाँ से १४ मील दूर पूराना करारु से यह फणावाली चौमुखजी पार्श्वनाथजी की मूर्ति हाल में जहाँ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी की पीछे है । जीसे शेर्बुजय आदि के पास आरस के
त्रिगढ में बिठाया है । पहले मूलनायक महावीर स्वामी थे । ३ जैन उपाश्रय है । चारों कोने में चार देरीयाँ है ।
विशाल और सब से पुराने चिंतामणि पार्श्वनाथजी के मंदिर में नागदेवता हर रात्रि को बहार निकलते है । १२ महीनों में दो दफा अपनी कांचली उतारते है ।
जैनों के खतर गच्छ के १६०० घर अंचल गच्छ के ४०० तेरापंथी के ३०० कुल २३०० घर है । तपगच्छ के पाँच घर है। बाडमेर सभी बाजु से वाहन की सुविधा है।
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