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________________ ४६४) श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ बाडमेर जिला १. बाडमेर लीचिन्तामा पाश्र्वनापरवमी भीरचन्द स -SiporationingRement बाडमेर जैन देरासरजी METRON Says RREARRIANX मूलनायक श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी मूलनायक श्री महावीर स्वामी यह देरासर ५०० साल पूराना है । इसका जिर्णोद्धार पू. आ. श्री गुणसागर सू. म. न आज से ६ साल पहले कराया था । श्री चितामणि पार्श्वनाथजी की मूर्ति संवत ११११ में पूराने करारु से लाये थे । बोहरा नेमाजी जिवराजजी ने भगवान श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा सं. १६८५ में की थी । यह धर्ममूर्ति सूरि ने सं. ११६६ में यह भगवान की प्रतिष्ठा की थी । उपर का लेख भगवान के नीचे पूराना परिकर में है । २०३३ में इनकी प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी। यहाँ से १४ मील दूर पूराना करारु से यह फणावाली चौमुखजी पार्श्वनाथजी की मूर्ति हाल में जहाँ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथजी की पीछे है । जीसे शेर्बुजय आदि के पास आरस के त्रिगढ में बिठाया है । पहले मूलनायक महावीर स्वामी थे । ३ जैन उपाश्रय है । चारों कोने में चार देरीयाँ है । विशाल और सब से पुराने चिंतामणि पार्श्वनाथजी के मंदिर में नागदेवता हर रात्रि को बहार निकलते है । १२ महीनों में दो दफा अपनी कांचली उतारते है । जैनों के खतर गच्छ के १६०० घर अंचल गच्छ के ४०० तेरापंथी के ३०० कुल २३०० घर है । तपगच्छ के पाँच घर है। बाडमेर सभी बाजु से वाहन की सुविधा है। AM
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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