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________________ राजस्थान विभाग : ५ जालोर जिला (४३५ 2 हुई थी । इसका फीर से जिर्णोद्धार करके २०४९ महा सुद १३ के. दिन गणि मणिभद्रसागरजी म. के वरद् हस्तोंसे प्रतिष्ठा हुई थी। उस समय बहुत दानभेट की आवक हुई थी । वासुपूज्य स्वामीकी मूर्ति १४७५ वैशाख वद १ का लेख है । यह १९८५ में बना हालमें बड़ा मंदिर बन रहा है । वह पहले सवगच्छ बाद में चौदसियो गच्छ और हाल में सत्यपुरी गच्छ गिना जाता है। स्टेशन पर श्री कुंथुस्वामी का मंदिर है । उसकी प्रतिष्ठा २०३८ महासुद १३ के दिन पू.आ. श्री कनकप्रभ सू. म. के वरद् हस्तोससंपन्न हुई थी । धातु की बहुत सारी प्रतिमाजी जमीनमें से निकली है। यहाँ १ जिवित स्वामी मंदिर, (मूलमंदिर) २ अचलगच्छ .मूलमंदिर, ३ पोसाल सवगच्छ मंदिर, ४ पूनमिया गच्छ मंदिर, ५ आदीश्वर मंदिर, ६ दोशी महोल्ले में पदमावती मंदिर आदि की कोई माहिती या स्थान उपलब्ध नहीं है । विद्यमान मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी वासुपूज्य स्वामी मंदिर, स्वामी आदीश्वरजी मूलनायकों की मूतियाँ दिखाई देती है । ब्रह्मशांतियक्ष की स्तुति आती है । यहाँ के बड़े वासुपूज्य स्वामी मंदिर में १४७६ वैशाख वद १ के लेखवाली वह मूर्ति है । उसमय सुंदरजी की यह जन्मभूमि है । धर्मशाला बस स्टेन्ड की निकट में है । भोजनशाला है। कच्छ राधनपुर वाव थराद से साचोर तक नेशनल हाईवे है । जो बाडमेर जाता है । जालोर, भिनमाल, राणीवाडा, सिरोही, आबु, जोधपुर हाईवे है । थराद ४५ कि.मी. भिनमाल ६२ कि.मी. राणीवाडा २० कि.मी. और बाडमेर ११० कि.मी. के अंतर पर है। ८. भीनमाल मूलनायक श्री शांतिनाथजी भीनमाल जैन देरासरजी
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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