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राजस्थान विभाग : ५ जालोर जिला
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हुई थी । इसका फीर से जिर्णोद्धार करके २०४९ महा सुद १३ के. दिन गणि मणिभद्रसागरजी म. के वरद् हस्तोंसे प्रतिष्ठा हुई थी। उस समय बहुत दानभेट की आवक हुई थी । वासुपूज्य स्वामीकी मूर्ति १४७५ वैशाख वद १ का लेख है । यह १९८५ में बना हालमें बड़ा मंदिर बन रहा है । वह पहले सवगच्छ बाद में चौदसियो गच्छ और हाल में सत्यपुरी गच्छ गिना जाता है। स्टेशन पर श्री कुंथुस्वामी का मंदिर है । उसकी प्रतिष्ठा २०३८ महासुद १३ के दिन पू.आ. श्री कनकप्रभ सू. म. के वरद् हस्तोससंपन्न हुई थी । धातु की बहुत सारी प्रतिमाजी जमीनमें से निकली है।
यहाँ १ जिवित स्वामी मंदिर, (मूलमंदिर) २ अचलगच्छ .मूलमंदिर, ३ पोसाल सवगच्छ मंदिर, ४ पूनमिया गच्छ मंदिर, ५
आदीश्वर मंदिर, ६ दोशी महोल्ले में पदमावती मंदिर आदि की कोई माहिती या स्थान उपलब्ध नहीं है । विद्यमान मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी वासुपूज्य स्वामी मंदिर, स्वामी आदीश्वरजी मूलनायकों की मूतियाँ दिखाई देती है ।
ब्रह्मशांतियक्ष की स्तुति आती है । यहाँ के बड़े वासुपूज्य स्वामी मंदिर में १४७६ वैशाख वद १ के लेखवाली वह मूर्ति है । उसमय सुंदरजी की यह जन्मभूमि है । धर्मशाला बस स्टेन्ड की निकट में है । भोजनशाला है। कच्छ राधनपुर वाव थराद से साचोर तक नेशनल हाईवे है । जो बाडमेर जाता है । जालोर, भिनमाल, राणीवाडा, सिरोही, आबु, जोधपुर हाईवे है । थराद ४५ कि.मी. भिनमाल ६२ कि.मी. राणीवाडा २० कि.मी. और बाडमेर ११० कि.मी. के अंतर पर है।
८. भीनमाल
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
भीनमाल जैन देरासरजी