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राजस्थान विभाग: ५ जालोर जिला
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Samus
मूलनायक श्री पार्श्वनाथजी
अब मोहे औंसी आय बनी;
श्री शंखेश्वर पास जिनेसर, मेरे तुं ओक धनी. अब गाशा
तुम बिन कोइ चित्त न सुहावे, आवे कोडी गुणी;
मेरो मन तुज पर रसियो, अलि जिम कमल भणी. अबणाशा
तुम नामे सवि संकट चूरे, नागराज धरणी,
नाम जपुं निशिवासर तेरो, अ शुभ मुजकरणी. अबणाशा कोपानल उपजावत दुर्जन, मथन वचन अरनी;
नाम जपुं जलधार तिहां तुज, धारुं दुःख हरनी. अबागा मिथ्यामति बहु जन हे जगमें, पद न धरत धरनी; उनको अब तुज भक्ति प्रभावे, भय नहि अकनी. अबणाशा सज्जन-नयन सुधारस अंजन, दुरजन रवि भरनी
तु मूरति निरखे सो पावे, सुख जस लीलधनी. अबणाक्षा.
आहोर जैन देरासरजी
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