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श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ - - -
- - ३. उमेदपुर २. उमदपुर
मूलनायक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथजी
उमेदपुर जैन देरासरजी
मूलनायक श्री भीडभंजन पार्श्वनाथजी
श्री चमत्कारिक भीडभंजन पार्श्वनाथजी की प्रतिष्ठा इस नये । देरासरजी में सं. १९९५ के मृगशीर्ष सुद-१० शुक्रवार के दिन हुई थी। अंजन शलाका सं. १९९१ में हुई थी । पाँच पार्श्वनाथजी मूलनायक समान है। १. भीडभंजन, २. दुसरे गर्भगृह में, ३. तीसरे गर्भगृह में, ४. दाहिनी ओर रंगमंडप में, ५. बाँये की
ओर रंगमंडप में, कम्पाउन्ड में विशाल जगा है। रमेशा अंग रचना होती है । देरासर शिखरबंध है । मूलनायक ७३ इंच के है।
उपरकी मंजिल में श्री महावीर स्वामी मूलनायक है । गाँव में जैनों के ४० घर है । दरवाजे पर दो बड़े हाथी है । पू. आ. श्री वल्लभसूरि म. के पट्टधर पूर्णानंद सू. म. की महेनत और उपदेश से उनके वरद् हस्तों से प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी । देरासर के बाहर बड़े चौगान में उनकी समाधि पर एक देरी का निर्माण हो रहा है । यहाँ पार्श्वनाथ उमेद जैन बालाश्रम चलता है। १७५ विद्यार्थी हैं भोजनशाला भी है । यह स्थान आहोर से १५ कि.मी. और तखतगढ़ से १० कि.मी. दूर है । सांडेराव जालोर रोड पर है। .
४. शिवाना
मूलनायक श्री गोडीजी पार्श्वनाथजी
श्री गोड़ीजी पार्श्वनाथ मूलनायक तीन गर्भगृह में और दो रंगमंडप में है । सं. १९२७ शाके १८०१ में प्रतिष्ठा हुई थी । सब भगवान राजा सांप्रति के समय के है। तीनों गर्भगृह शिखरबंध है।
श्री गोडीजी पार्श्वनाथ यहाँ ८७० साल पहले प्रतिष्ठित हुओ थे । हाल में पूरा देरासर नया बनाया गया है।
(२) चौमुखजी नये पार्श्वनाथ (३) आदीश्वर चौमुखजी (४) वासुपूज्य स्वामी (५) अजितनाथजी यह पाँचों देरासर शिखरबंध है । यहाँ जैनों के १२०० घर है। - - - - -
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