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राजस्थान विभाग : ३ उदयपुर जिला
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१३. एकलिंगजी
एकलिंगजी जैन देरासरजी
मूलनायक श्री शांतिनाथजी
यह प्राचीन तीर्थ है । शांतिनाथजी बड़ी प्रतिमावाले नागद्रद तीर्थ यहाँ से १ कि.मी. के अंतर पर है । उदयपुर से २५ कि.मी. दूर है।
मुलनायक श्री शांतिनाथजी
शांति जिनेश्वर साचो साहिब,
शांतिकरण इन कलिमें हो जिनजी, तुं मेरा मनमें तुं मेरा दिलमें,
ध्यान धुएं पल पलमें साहिबजी..तुं मेरा १ भवमां भमतां में दरिशन पायो;
आशा पूरो ओक पलमें हो जिनजी...तुं मेरा २ निर्मळ ज्योत वदन पर सोहे,
निकस्यो जयुं चंद बालमें हो जिनजी..तुं मेरा ३ मेरो मन तुम साथे लीनो,
मीन वसे जयुं जल में हो जिनजी तुं मेरा...४ " जिनरं", कहे प्रभु शांति जिनेश्वर,
दीठोजी देव सकलमें हो जिनजी तुं मेरा....५
। गिरूआ रे गुण तुम तणा, श्री वर्धमान जिनराया रे;
सुणता श्रवणे अमी झरे, म्हारी निर्मल थाये काया रे. गि. १ तुम गुण गण गंगाजळे, हुं झीलीने निर्मल थाउ रे;
अवर न धंधो आदएं, निशदिन तोरा गुण गाउं रे. गि.२ झील्या जे गंगाजले, ते छिल्लर जल नवि पेसे रे;
जे मालती फूले मोहिया, ते बावल जइ नवि बेसेरे. गि.३ ओम अमे तुम गुण गोठशें, रंगे राच्या ने वळी माच्या
रे; ते केम परसुर आदरे, जे परनारी वश राच्या रे गि. ४ तु गति तुं मति आशरो, तुं आलंबन मुज प्यारो रे,
वाचक यश कसे माहरे, तुं जीव जीवन आधारो रे. गि.५
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७.१४१५