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श्री श्वेतांवर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१
१४. सविना तीर्थ
सविना तीर्थ जैन देरासरजी
मूलनायक श्री सविना पार्श्वनाथजी
मूलनायक श्री सविना पार्श्वनाथजी
श्री पार्श्वनाथजीका प्राचीन मंदिर है । श्री महावीर स्वामी परिकर युक्त है । जिर्णोद्धार सं. १९२० में हुआ था । श्री पार्श्वनाथजी कुमारपाल के समय के प्राचीन है । दाहिने और बाँये बाजु की प्रतिमा कुमारपाल के समय की है । सं. १६८९ में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ लेख युक्त है । दूसरा रंगमंडप सारे भारत में अजोड है । पोष शुद १० के दिन मेला लगता है । १० हजार की संख्या में लोग आते हैं और दर्शन के बाद करीब ७५०० लोग प्रसाद लेते है।
प्रभु भजन कर प्रभु भजन,
प्यारु प्यारु मने प्रभु भजन; जेनी वाणीनी मने प्रीति लागी छे,
ते प्रभु पासे मारे करवू गमन. प्रभु. १ ऋषभ अजित संभव अभिनन्दन,
सुमति पद्मम सुपार्श्व रटन. प्रभु. २ चंद्र सुविधि शीतलजिन अर्ची,
श्रेयांस वासुपूज्य विमल जिणंद, प्रभु. ३
अनंत धर्म शांति कुंथु अर मल्लि,
सुव्रत नमि नेमि पार्श्व भजन. प्रभु. ४ वीर प्रभु भजो वीर थवाने,
चोवीश जिनवर मोंघा रतन. प्रभु. ५ आत्मकमलमा लब्धि लेवा,
सेवो सेवो प्रभु करी यतन. प्रभु. ६