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________________ ४२०) श्री श्वेतांवर जैन तीर्थ दर्शन : भाग-१ १४. सविना तीर्थ सविना तीर्थ जैन देरासरजी मूलनायक श्री सविना पार्श्वनाथजी मूलनायक श्री सविना पार्श्वनाथजी श्री पार्श्वनाथजीका प्राचीन मंदिर है । श्री महावीर स्वामी परिकर युक्त है । जिर्णोद्धार सं. १९२० में हुआ था । श्री पार्श्वनाथजी कुमारपाल के समय के प्राचीन है । दाहिने और बाँये बाजु की प्रतिमा कुमारपाल के समय की है । सं. १६८९ में मूलनायक श्री पार्श्वनाथ लेख युक्त है । दूसरा रंगमंडप सारे भारत में अजोड है । पोष शुद १० के दिन मेला लगता है । १० हजार की संख्या में लोग आते हैं और दर्शन के बाद करीब ७५०० लोग प्रसाद लेते है। प्रभु भजन कर प्रभु भजन, प्यारु प्यारु मने प्रभु भजन; जेनी वाणीनी मने प्रीति लागी छे, ते प्रभु पासे मारे करवू गमन. प्रभु. १ ऋषभ अजित संभव अभिनन्दन, सुमति पद्मम सुपार्श्व रटन. प्रभु. २ चंद्र सुविधि शीतलजिन अर्ची, श्रेयांस वासुपूज्य विमल जिणंद, प्रभु. ३ अनंत धर्म शांति कुंथु अर मल्लि, सुव्रत नमि नेमि पार्श्व भजन. प्रभु. ४ वीर प्रभु भजो वीर थवाने, चोवीश जिनवर मोंघा रतन. प्रभु. ५ आत्मकमलमा लब्धि लेवा, सेवो सेवो प्रभु करी यतन. प्रभु. ६
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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