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गुजरात विभाग :१- भावनगर जिला
MAHITINE
दादा साहब मन्दिर भावनगर.
वीरः सर्वसुरासुरेन्द्रमहितो, वीरं बुधाः संश्रिता, वीरेणाभिहतः स्वकर्म निचयो, वीराय नित्यं नमः, वीरातीर्थमिदं प्रवृत्तमतुलं वीरस्य घोरं तपो, वीरे श्री धृति कीर्ति कान्ति निचयः, श्री वीर भद्रं दिश
दादा साहब मन्दिर मूलनायक श्री महावीर स्वामी
सर्वेषां वेधसामाद्य-मादिमं परमेष्ठिनां, देवाधिदेवं सर्वज्ञ, श्री वीरं प्रणिदध्महे।
७. घोघा तीर्थ
मूलनायक श्री नवखंडा पार्श्वनाथजी मूलनायक का शिखरबन्द प्राचीन मन्दिर हैं, बाजु में शान्तिनाथ, से एक दिन पहले ही प्रतिमा जी बाहर निकाल ली गई । मूर्ति तो जुड गयी। चन्द्रप्रभु आदि एक ही चौगान में चार मन्दिर हैं। ११६८ में आ. महेन्द्रसूरिजी परन्तु एक दिन पहले निकालने से नव धारे-काया रह गयी इससे ही नवखंड के हाथ से यहाँ अंजनशलाका हुई हैं। यहाँ पर बहुत ही प्राचीन गढ़ हैं। पार्श्वनाथ कहलाती हैं। संप्रति राजा के समय की प्रतिमाजी भराई हुई हैं।
यहाँ पर एक ही गहरा चार भोयरों वाला भोयरा था- जिसमें यह मंदिर, पुनः देरासर बनाकर विक्रम संवत १८६५ में पुनः प्रतिष्ठा की है। जहाँ पर था। वि. सं. १७८१ की साल में काणा मीठा सेठ ने बायें सुविधिनाथ की भावनगर वडवा नाम का छोटा ग्राम था वहाँ पर यह घोघा एक लाख की प्रतिष्ठा कराने का लेख मिलता हैं। यह प्राचीन भोयरा अभी भी मौजूद हैं। बस्ती का शहर था। सुन्दर बन्दरगाह था। व्यापार की समृद्धि थी, कुआ मुसलमानों के राज्यकाल में उनके सिपाहियों द्वारा दूसरे मन्दिरों तथा खोदते यह प्राचीन प्रतिमाजी मिली हैं। घोघा के श्रावकों को स्वप्न में प्रतिमाओं का खंडन हुआ उस समय इस प्रतिमा के भी टुकडे हुए। भगवान ने कहा कि मुझको कुंऐ में से बाहर निकालो, उसके अनुसार उस अधिष्ठायक देव कृपा से श्रावकों ने उनको लापसी में डाला और नव के बदले स्थान से नव टुकडों में खंडित अवस्था में मिली। भगवान के कहे अनुसार आठ दिन में बाहर निकाली तब चिन्ह रह गये इससे नवखंडा पार्श्वनाथा कोरी लापसी में आठ दिन ये टुकडे रखे थे।
कहलायी। १३५४ में हेमचन्द्र सूरिजी तथा धर्मघोष सू. म. द्वारा प्राचीन परन्तु भरूच में संघ में आये हुए आचार्य श्री जिनेन्द्र सूरिजी म. के कहने भोयरा की और प्रतिमाओं की लेख सूची की गयी।