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________________ २४) 我用阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿阿 यहाँ मन्दिर के योगों में ही पंचतीर्थ हैं। बहुत सारी प्रतिमायें बम्बई अहमदाबाद गयी हैं। सेठ श्री काला मीठा की पेढ़ी यहाँ प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थ अभी भी मौजूद हैं। घोघा बन्दर (भावनगर) यहाँ पर दो उपाश्रय हैं। धर्मशाला है। भोजनशाला है। सम्पूर्ण व्यवस्था हैं। भावनगर से घोघा बस सर्विस चलती हैं। श्री नवखंडा पार्श्वनाथ देशसरजी कमठे धरणेन्द्रे च स्वोचितं कर्म कुर्वति । प्रभुस्तुल्य मनोवृत्तिः, पार्श्वनाथः श्रियेऽतु वः । मूलनायक श्री नवखंडा पार्श्वनाथजी → मूलनायक श्री शान्तिनाथजी यहाँ का देरासर सुन्दरतामें अद्वितीय है। सारे सौराष्ट्र एवं गुजरात में काँच का भव्य सुन्दर मंदिर हैं। रंगीन काँच से अत्यन्त सुन्दर भव्य कलाकारीगरी से सुशोभित, मध्य में मीना कारीगरी से चमकता हुआ जगमगाता सुन्दर मंदिर देखकर तथा प्रभुजी की आँगी और देदीप्यमान मुख छवि निहारकर आँखे पवित्र, और मन भक्तिभाव से विभोर हुए बिना रह ही नहीं सकता हैं। आज से १५ वर्ष पूर्व जयपुर राजस्थान से काँच की कला के जानकार कारीगर के पास में सौन्दर्य युक्त कराये गये थे। २८९ वर्ष पुराना मन्दिर हैं। यहाँ सन् १६९९ में प्रतिष्ठा की गयी उसके पहले पर मन्दिर था। प्राचीन मूलनायक श्री पार्श्वनाथ थे। दाठा पंचतीर्थ का गाँव हैं। वि. सं. १५११ की साल में धातु का समवसरण मंन्दिर भरूच के गंधार गाँव से घोघा तीर्थ को प्रदान किया हैं। श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१ कुमारपाल राजा द्वारा बनवाया गया श्री चन्द्रप्रभ जी का मन्दिर दरिया के पास हैं उसमें विजयदेवसू. म. की पादुका १७१६ की मौजूद हैं। शिखर बन्द मन्दिर हैं। उसमें १३५७ की साल की एक भव्य गुरुमूर्ति हैं। नाम पढ़ने में नहीं आता हैं। बस स्टेशन के पास जीरावाला पार्श्वनाथजी का मंदिर हैं। શ્રી નવખંડા Kalat ८. दाठा तीर्थ પાર્શ્વનાથજી દેવ यहाँ जैनों के १५० घर थे। हाल में अभी ३० घर हैं। यहाँ पर संस्था का गेस्ट हाऊस हैं। भोजनशाला भी चालू हैं। भाताखाता (नाश्ता विभाग) हैं। यहाँ पर रोजाना ५० यात्रीगण बाहर से आते हैं। महुआ रोड से अन्दर मार्ग में सड़क हैं। यहाँ से ही तलाजा भावनगर बस चलती हैं। श्री वीसा श्री माली तपागच्छ श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन महाजन संघ इस तीर्थ धाम की व्यवस्था करता हैं। ধ
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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