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________________ २२) मूलनायक श्री सहस्रफण पार्श्वनाथजी इस नूतन जिनालय की प्रतिष्ठा पू. आ. श्री विजय नन्दनसूरिजी म. की निश्रा में संवत २०२८ के वै. सु. १० को हुई जो शत्रुंजय डेम तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर मूलनायक श्री सहस्रफण पार्श्वनाथ भगवान विराजमान हैं । दूसरी बहुत बड़ी संख्या में प्रतिमाये हैं । यहाँ पर सुन्दर धर्मशाला है। भोजनशाला भी है। ભી આદેશ્વર ભગવાન વાતાગ મળવાના માર मूलनायक श्री आदीश्वरजी मूलनायक श्री आदीश्वरजी (१) दरबारगढ़ के पास श्री आदीश्वरजी भगवान का मंदिर हैं। संप्रति राजा के समय की प्रतिमाजी हैं जो पीरम बेट से मिली हुई कहलाती हैं । ३५१ वर्ष पुराना मन्दिर है। विक्रम संवत १७१३ में प्रतिष्ठा ६. भावनगर (२) वडवा में चन्द्रप्रभुजी का मन्दिर विक्रम संवत १८१३ में निर्माण करवाया हैं। (३) श्री दादा साहब का मंदिर जेलरोड (बडी अस्पताल के पास) विक्रम संवत १९७१ का हैं। ये भगवान विक्रम संवत १६८२ में भराए श्री श्वेतांबर जैन तीर्थ दर्शन भाग-१. १२ कोस (१९ कि.मी.) की प्रदक्षिणा में रोहिशाला तीर्थ था। डेम के कारण यह देरासर हटाकर डेम पर यह तीर्थ बना हैं। तीर्थ रमणीय हैं और पालीताणा से पंचतीर्थी में और कदंबगिरि तीर्थ जाते यह तीर्थ आता है। पालीताणा से ७ कि.मी. पर हैं। पेढ़ी - श्री जिनदास धर्मदास धार्मिक ट्रस्ट इसकी व्यवस्था करता हैं। दादा साहेब देरासरजी गोडीजी, करवलीयापरा, शास्त्रीनगर, विद्यानगर, सरदारनगर, कृष्णनगर, सीमन्धर स्वामी महावीर विद्यालय, ये शिखर बंद मंदिर हैं। और करीब ६ गृहमंदिर हैं। पेढ़ी- सेठ डोसाभाई अभयचंद की पेढ़ी श्री श्वे. मू. पू. तपा. जैन संघ भावनगर इन सभी मन्दिर की व्यवस्था करता हैं। यहाँ पर दस उपाश्रय है। १७ पाठशालायें हैं, जैनियों की २५००० की बस्ती ५००० घर हैं। रेल्वे स्टेशन के पास धर्मशाला, भोजनालय, वगैरह की यात्रियों के वास्ते व्यवस्था हैं। सौराष्ट्र गुजरात के रेल्वे और बस के रास्ते से भावनगर जुड़ा हुआ है। चाहे जिस स्थान से आ सकते हैं। एयरपोर्ट भी है।
SR No.002430
Book TitleShwetambar Jain Tirth Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1999
Total Pages548
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size114 MB
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