________________
राजस्थान विभाग : २ पाली जिला --स-सससससससससससससस
२३. खुडाला
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
खुडाला जैन देरासरजी
मूलनायक श्री धर्मनाथजी
श्री धर्मनाथजीका यह देरासर ८०० साल पुराना है । जीसे पोरवाड वंश के रामदेवजी के पुत्र श्री सुराशाह ने बनवाया था । उनके भाई नलधर ने १२४३ में प्रतिष्ठा करवाई थी १५२३ / १५४३ में दूसरी प्रतिमाजी बिराजमान की गई थी । यह मंदिर नया बन रहा है । मूलनायक कुमारपाल महाराजा के समय के है। आरस की और भी अनेक प्रतिमाएं है जो प्राचीन है । फालना स्टेशन ३ कि.मी. के अंतर पर है । वहाँ एक धर्मशाला भी है जो स्टेशन पर है।
आवो आवो रे वीर स्वामी मारा अंतरमां,
मारा अंतरमां पधारो मारा अंतरमा आवो.१ मान मोह माया ममतानो, मम अंतरमा वास;
- जब तुम आवो त्रिशला नंदन, प्रगटे ज्ञान प्रकाश. आवो आवो हे वीर स्वामी ! मारा अंतरमां. २ आत्मा चंदन परकर्म सर्पनुं नाथ अतिशय जोर; दूर करवाने ते दुष्टोने, आप पधारो मोर.
आवो आवो. ३ माया आ संसार तणी, बहुं वरतावे छे केर;
श्याम जीवनमां आप पधारो, थाये लीला लहेर, आवो आवो.४
भक्त आपना शेठ सुदर्शन, चढया शूळीओ साच; आप कृपाओ थयु सिंहासन, बन्या देवना ताज.
आवो आवो. ५ चंदनबालाने बारणे आव्या, अभिग्रह पूरण काज; हरखित चंदनबाला नीरखी, पाछा वळ्या भगवान.
आवो आवो. ६ रडती चंदनबाळा बोले, क्षमा करो भगवान; कृपा करो
मुज रंक ज उपरे, ल्यो बाकुळा आज आवो आवो. ७ बारे व्रतमा एक नहि व्रत, छतां थशे भगवान; श्रेणिक भक्त जाणी प्रभुओ, कीधा आप समान.
आवो आवो. ८
N
歐歐歐歐歐歐歐歐歐剧剧剧影剧剧/剧影图